एसके पंकज:- बिहार। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज बेगूसराय के राजग प्रत्याशी और भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के पक्ष में प्रचार करने बेगूसराय आ रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि वे किस पर ज्यादा हमलावर होते हैं? महागठबंधन के प्रत्याशी तनवीर हसन और कन्हैया कुमार दोनों हीं गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। गिरिराज सिंह की सभाओं में भीड़ और बेगूसराय सीट का भूमिहार बहुल होना कुछ सकारात्मक पहलू गिरिराज सिंह के पक्ष में हैं, तो मुस्लिम-यादव समीकरण तथा बेगूसराय का स्थानीय होने पर तनवीर हसन को भरोसा है। बहुत सारे जातीय समीकरण, विपक्ष की बुलंद आवाज और कन्हैया के भाषणों की ओजस्वीता, युवा चेहरा और बेगूसराय का स्थानीय होना। ये सभी डा.कन्हैया कुमार के पक्ष में सकारात्मकता है। लेकिन भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के आगे सारे समीकरण ध्वस्त होने की संभावना प्रायः बनी रहती है। जेएनयू के पूर्व छात्रध्यक्ष और बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार की तैयारी जोरों पर है।इधर कन्हैया अमित शाह के आने की खबर पर उनपर काफी हमलावर हुए है। इसी बीच कन्हैया ने फेसबुक पर पोस्ट लिख अमित शाह से पांच सवाल पूछे हैं। बुधवार को होने वाली बेगूसराय में रैली पर कन्हैया ने फेसबुक पर मंगलवार को लिखा,
“कल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बेगूसराय आ रहे हैं। उनसे बेगूसराय की जनता नीचे लिखे पाँच सवालों का जवाब सुनना चाहती है:
1. जब देश में बेरोज़गारी ने पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और उद्योग-धंधों में भारी मंदी दिख रही है, तब आपके बेटे की कंपनी का राजस्व मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल के भीतर 50 हज़ार रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये कैसे हो गई? जय शाह ने कौन-सी तरकीब अपनाकर अपनी आय में 16,000 गुना बढ़ोतरी कर ली?
2. अहमदाबाद ज़िला सहकारी बैंक, जिसके आप डायरेक्टर थे, उसमें नोटबंदी के बाद केवल पाँच दिन में 745 करोड़ रुपये कैसे जमा हो गए?
3. नोटबंदी के बाद देश के कई हिस्सों में भाजपा के 600 से ज़्यादा आलीशान ऑफ़िस कैसे बने?
4. क्या आपकी पार्टी मुंबई आतंकवादी हमले में शहीद हेमंत करकरे का अपमान करने वाली प्रज्ञा ठाकुर का बचाव करने के लिए भारत की जनता से माफ़ी माँगेगी?
5. क्या आपकी पार्टी जज लोया की संदेहास्पद मृत्यु की निष्पक्ष जाँच कराने के पक्ष में है?
इन प्रश्नों के बाद कन्हैया ने यह भी लिखा कि उम्मीद है कि अमित शाह सवालों के जवाब देंगे। बता दें कि बेगूसराय में 29 अप्रैल को मतदान होना है। जिसके लिए कन्हैया के समर्थन में जावेद अख्तर, योगेन्द्र यादव, अभिनेता प्रकाश राज ने मंगलवार को प्रचार किया।वहीं बार-बार अपने विरोधियों का काला झंडा, देशद्रोही वापस जैसे नारों सहित पिटाई तक झेल चुके कन्हैया तथा उनके समर्थकों का सब्र आखिरकार गत रविवार को टूट गया और उनके समर्थकों ने कन्हैया को काला झंडा दिखाने वाले लोगों को पीटा। यहाँ तक की घर से खींच कर पीटा। खुद की पिटाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताने वाले कन्हैया के समर्थकों द्वारा उनकों काला झंडा दिखाने वालों की पिटाई कन्हैया के पार्टी या व्यक्तिगत सिद्धांतों के खिलाफ दिखती है। वहीं बुद्धिजीवी बताते हैं कि हिंसा चाहे कन्हैया के खिलाफ हो या उनके विरोधियों के खिलाफ दोनों हीं निंदनीय हैं। गौरतलब हो कि विरोध की असहिष्णुता सभी नेताओं में देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश में अमित शाह को काला झंडा दिखाने पर छात्रा नेहा यादव की पुलिस ने पिटाई कर दी थी। एक लड़की को पुरुष सिपाहियों के द्वारा पीटे जाने और बाल घसीटकर ले जाने पर विरोधी दल के नेताओं ने श्री शाह की आलोचना भी की थी। स्वयं प्रधानमंत्री की रैलियों में भी काले कमीज, रुमाल व गमछे तक वालों को नहीं घुसने दिया जाता है। ऐसे में अगर सरकार खुद के खिलाफ काला झंडा नहीं बर्दाश्त कर पा रही है तो विरोधी नेताओं के साथ भी वही प्रोटोकॉल होना चाहिए। अन्यथा राजनैतिक हिंसा कभी रुकने का नाम नहीं लेगी। वामपंथी कहते हैं कि अगर एफआईआर और चार्जसीट के आधार पर भगवा पार्टी के लोग कन्हैया को देशद्रोही कहते हैं तो चार्जशीट के आधार पर अमित शाह को खूनी और साध्वी प्रज्ञा को आतंकवादी क्यों ना कहा जाए? राजनीति में विरोध और विपक्ष का गिरता हुआ स्तर बुद्धिजीवियों के लिए चिंता का विषय है।