चार दिन बाद भी राज्य के बाकी हिस्से से कटे हैं बंगाल के 6 जिले, संचार व्यवस्था भी ठप

चार दिन बाद भी राज्य के बाकी हिस्से से कटे हैं बंगाल के 6 जिले, संचार व्यवस्था भी ठप

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कोलकाता।  घातक चक्रवाती तूफान अम्फन को गुजरे चार दिन हो चुके हैं लेकिन पश्चिम बंगाल के छह जिलों में हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। बुधवार को जो चक्रवाती तूफान आया था वह 185 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से राज्य के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में सबसे अधिक तांडव […]
कोलकाता।  घातक चक्रवाती तूफान अम्फन को गुजरे चार दिन हो चुके हैं लेकिन पश्चिम बंगाल के छह जिलों में हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। बुधवार को जो चक्रवाती तूफान आया था वह 185 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से राज्य के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में सबसे अधिक तांडव मचाया था। इसके अलावा राजधानी कोलकाता, हावड़ा, हुगली, पूर्व मेदिनीपुर और नदिया जिले भी इसकी चपेट में आए थे। यहां भी कम से कम 130 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थीं। अब राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया है कि राज्य भर में कम से कम दो करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। लाखों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं और लाखों पेड़-पौधे, बिजली के खंभे, तार, टेलीफोन के टावर आदि टूट चुके हैं। इस वजह से ये छह जिले पूरी तरह से राज्य के बाकी हिस्से से कट गए हैं। अधिकतर क्षेत्रों में पिछले चार दिनों से बिजली नहीं आई है, जिसकी वजह से लोगों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ हो रहे हैं। इसलिए लोग खीझकर सड़कों पर उतर रहे हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 
कोलकाता के जादवपुर इलाके में शुक्रवार रात को स्थानीय लोगों ने बिजली नहीं होने की वजह से विरोध प्रदर्शन किया था, जिन पर पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी। हुगली जिले के भद्रेश्वर थाना अंतर्गत चांपदानी इलाके में भी शनिवार सुबह के समय लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना में तो हालात बहुत ही बदतर हैं। वहां नदी, नाले, तालाब, सड़क और जमीन का अंतर खत्म हो गया है। चारों तरफ पानी ही पानी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि ऐसी तबाही उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखी थी। 
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 300 सालों बाद इतना खतरनाक चक्रवात पश्चिम बंगाल में आया था। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य सचिवालय में भी संचार व्यवस्था ठप पड़ी है। राज्य के बाकी हिस्सों की कल्पना की जा सकती है। एयरटेल, वोडाफोन जैसी टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क एक-एक दिन तक गायब रह रहे हैं और कभी कभार आते हैं तो चंद सेकेंड के बाद फिर नदारद हो जाते हैं। जियो का सिम इस्तेमाल करने वाले कुछ लोगों को सहूलियत है लेकिन उसका भी इंटरनेट या तो धीमा चल रहा है या नदारद हो जा रहा है। इस वजह से लोगों का आम जनजीवन पिछले चार दिनों से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हालात सामान्य होने में अभी कम से कम 15 दिनों से अधिक का समय लग सकता है। एक दिन पहले ही बंगाल दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के लिए 1000 करोड़ रुपये राहत की घोषणा की है। 
राजधानी कोलकाता के विस्तृत इलाके में 4 दिनों से बिजली नहीं आने की वजह से जलापूर्ति भी बाधित है। न केवल कोलकाता बल्कि बाकी के छह जिलों की भी यही स्थिति है। अधिकतर जगहों पानी की आपूर्ति पंप के जरिए होती है और बिजली की आपूर्ति नहीं होने की वजह से पंप नहीं चल पा रहा और लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। कई जगहों से ऐसी तस्वीरें आई हैं कि लोग तालाब से पानी निकालकर छानकर पी रहे हैं। राज्य सरकार ने राहत शिविरों में 56 लाख लोगों को रखा है और उनके रहने खाने की व्यवस्था जरूर की जा रही है। लेकिन बड़े पैमाने पर चक्रवात प्रभावित लोग भोजन पानी और चिकित्सा आदि के लिए परेशान हो रहे हैं। चारों तरफ पानी ही पानी जमा होने की वजह से राज्य अथवा केंद्र सरकार के अधिकारी चाहकर भी लोगों तक मदद नहीं पहुंचा पा रहे हैं। जहां तहां बोट के जरिए आपदा और राहत सामग्री दी जा रही है लेकिन वह लोगों की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं हो रहा।
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