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मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। बरियारपुर बनकट स्थित श्री नारायण शर्मा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में विश्व जनसंख्या दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन वरिय प्राध्यापक प्रो.एसके तिवारी की अध्यक्षता में हुआ। मौके पर अपने संबोधन में प्राचार्य डॉ॰ विजय कुमार गुप्ता ने कहा कि देश या दुनिया की सरकारें चाहे कोई भी कदम उठा लें लेकिन जब तक जनसंख्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तब तक देश और दुनिया का विकास नहीं हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण जल प्रदूषण मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है।टेम्पो बस और रेल में भीड़, थाना तहसील और जेल में भीड़ तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है।चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर शारीरिक- मानसिक अत्याचार तथा अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है।

चोर लुटेरे झपटमार जहरखुरानी करने वालों बेटियों पर अत्याचार करने वालों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके मां-बाप ने हम दो-हमारे दो नियम का पालन नहीं किया।इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत की 70% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट ही है। प्रशासक आरएस त्रिपाठी ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की कुल जनसंख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसंख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है ! चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं।अत: जनसंख्या विस्फोट नहीं रोका गया तो चाहे कुछ भी कर लो दुनिया का नाश तो तय है।
वही कार्यक्रम का संयोजन कर रहे प्रो.आरके दूबे ने कहा कि शिक्षक समाज के आइना होते हैं अर्थात हम सब खुद हीं सारे समाजिक प्रताड़ना के बावजूद बेटे की चाह में जनसंख्या नहीं बढ़ने दियें।एक या दो बेटियों के पिता होने बावजूद भी कई शिक्षक जनसंख्या विस्फोट से देश को बचाने के लिए बेटा पैदा करने के दकियानूसी विचारों से लड़कर समाज को एक नया उदाहरण प्रस्तुत किये हैं।
वहीं कॉलेज के बीएड प्रथम वर्ष के प्रशिक्षुओं ने अपने भाषण व कविताएँ प्रस्तुत कर बढ़ती जनसंख्या के विरुद्ध जागरुकता फैलाने की बात की। मौके पर प्राध्यापकों में मयंकेश्वर सिंह, मो.फिरोज, निकिता कुमारी,एसके. पंकज, इत्यादि उपस्थित थें। धन्यवाद ज्ञापन प्रो.अजय कुमार ने तथा मंच संचालन छात्राध्यापक आदित्य कुमार तिवारी ने किया।