बच्चों का हक़ दिलाने मे मीडिया की भागेदारी अहम: नीरज कुमार

बच्चों का हक़ दिलाने मे मीडिया की भागेदारी अहम: नीरज कुमार

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पटना। मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्बा है और बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में इनकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मीडिया के साथ से ही बच्चों का हक़ सुनिश्चित होगा। किसी भी देश का ह्यूमन इंडेक्स इंडिकेटर वह के बच्चों की स्थिति और विकास से जुड़ा होता हैं । बच्चों के सन्दर्भ में किसी भी घटना […]

पटना। मीडिया लोकतंत्र का चौथा खम्बा है और बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में इनकी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मीडिया के साथ से ही बच्चों का हक़ सुनिश्चित होगा। किसी भी देश का ह्यूमन इंडेक्स इंडिकेटर वह के बच्चों की स्थिति और विकास से जुड़ा होता हैं । बच्चों के सन्दर्भ में किसी भी घटना की रिपोर्टिंग करते समय मीडिया को यह भी चाहिए कि बच्चों से जुड़े कानून पोक्सो और जे जे एक्ट के बारे में भी रिपोर्टिंग करे। ये उदगार बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने पत्र सूचना कार्यालय, पटना और यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कहीं। इस अवसर पर बोलते हुए श्री कुमार ने कहा कि कि हमारे लगभग 11 करोड़ आबादी में लगभग 5 करोड़ बच्चे हैं। इसके अलावा हमारे 28 जिले हैं जो बाढ़ या सूखे से प्रभावित हैं। बिहार यूथ फोरम के द्वारा बच्चों के द्वारा मीडिया पर बनाई बनाई गई पेंटिंग पर कहा की बच्चों की पेंटिंग यह दर्शाती है यह नई पीढ़ी समाज के प्रति पूरी तरह से जागरूक है और अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से जानते है। बिहार सरकार ने बच्चों के लिए अलग से बजट बनाया है जिसके अंतर्गत वर्ष 2017-18 में 12।8% बजट बच्चों के लिए अलग से निर्धारित किया था। उन्होंने कहा कि मीडिया को बच्चों और उनके मुद्दों के लिए अलग से एक पन्ना प्रकाशित करना चाहिये।

इस अवसर पर पीआईबी, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि पिछले 70 सालों से यूनिसेफ बाल अधिकारों पर काम कर रहा है। मीडिया की भूमिका ख़बरों के प्रभावशीलता को बढ़ाना और संवेदनशीलता के साथ लिखना और दिखाना भी है। बच्चों की रिपोर्टिंग को बेहतर करने के लिए मीडिया को विचार करना चाहिए। उनके अधिकार की खबरें भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित करना चाहिए।

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यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांड्या ने कहा कि बिहार में 46 प्रतिशत से ज्यादा है बिहार में सबसे अधिक है । मीडिया, समाज का आँख और कान होता है। मीडिया की पहुँच नीति निर्धारकों के साथ समाज के हर वर्ग तक होती है।ऐसे में उनकी भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है । यह साल बाल अधिकार समझौते की 30 वीं वर्षगांठ हैं। पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी के साथ निभानी चाहिए और बाल अधिकार से संबंधित खबरों को तरजीह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के दौर में मीडिया ने बाल अधिकार से जुड़ी खबरें नहीं के बराबर आ रही हैं।

कार्यशाला का उद्देश्य के बारे में बताते हुए यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों जैसे स्वास्थ्य, विकास, संरक्षण, सुरक्षा और भागीदारी और उनसे जुड़े अन्य मुद्दों के बारे में जागरूक करना था। ताकि मीडिया बच्चोंच के बारे में और ज्यादा लिखें और उनके बारे में आवाज उठाएं ताकि सरकार और नीति निमाता बचों के मुद्दों को अपने प्राथमिकताओं में शामिल करे । बच्चों के मुद्दे केवल सॉफ्ट स्टोरी नहीं होती । बच्चों की खबरें आर्थिक और सामाजिक प्रभाव की भी होती हैं ।
वरीय पत्रकार संजय देव ने कहा कि IRS Survey की रिपोर्ट के अनुसार 59 प्रतिशत बच्चे जो साक्षर हैं वह भी अख़बार नहीं पढ़ते है। यह मीडिया के लिए बड़ी चुनौती है। केवल 8 फीसदी खबरें ही है जिसमे बच्चों के मन की खबर छपती है। इसमें भी उनके विचार नहीं होते हैं।
बिहार यूथ चाइल्ड फोरम की सदस्य और कक्षा 12 के प्रियरेश्वरा और रवि ने कहा कि बच्चों के ऊपर खबर केवल बाल दिवस पर ही नहीं लिखी जानी चाहिए।बच्चों पर फोकस होकर खबर लिखी जानी चाहिए । साथ ही अन्दर के पन्नों पर छोटी खबरें की जगह प्रमुखता से पहले पन्ने पर भी जगह मिले
कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों के दौरान वरीय पत्रकार संजय देव और डॉ एम एच गजाली ने बच्चों से जुड़ी खबरों के लेखन प्रक्रिया, बाल अधिकार की पत्रकारिता से जुड़े नियम और मीडिया इथिक्स की जानकारी दी गई । बच्चों की तसवीर और वीडियो निर्माण के वक्त बरती जाने वाली संवेदनशीलता के बारे में भी बताया। मीडिया में आई ख़बरों को प्रतिभागियों ने ख़बरों का विश्लेषण किया जैसे इन ख़बरों को किस पेज पर किया । इस दौरान प्रतिभागियों को केस स्टडी देकर उनसे उनके अलग अलग कोण पर उनके सुझाव लिए और चर्चा की। कार्यशाला के बाद सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन पत्र सूचना कार्यालय के सहायक निदेशक संजय कुमार ने किया । कार्यक्रम में दूरदर्शन, आल इंडिया रेडियो, रेडियो एफएम, के साथ ही प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेबसाइट, मीडिया कालेजों के फैकल्टी, के साथ लगभग 60 लोगों ने भाग लिया।

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