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पूर्णिया। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के तत्वावधान में आज बाल श्रम उन्मूलन के अंतराष्ट्रीय वर्ष में बाल दुर्व्यापार के खिलाफ जनसंवाद का आयोजन किया गया।
दो सत्रों में आयोजित इस जनसंवाद कार्यक्रम के उदघाटन सत्र का मुख्य अतिथि के रूप मे जुवेनाइल कोर्ट के न्यायाधीश दिव्य प्रकाश, नगर निगम महापौर सविता सिंह, जिला परिषद अध्यक्ष क्रांति देवी एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में जिला बाल संरक्षण इकाई के मीनू देवी, चाइल्ड लाइन के नोडल संजीव कुमार, डॉ ए के गुप्ता, समाज सेवी सह वार्ड पार्षद रेणु कुमारी, दधिची देहदान समिति उपाध्यक्ष सरिता रॉय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
उद्धाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए जुवेनाइल कोर्ट के जज दिव्य प्रकाश ने कहा बच्चों के अधिकार संविधान से प्राप्त है। अनुच्छेद 23 एवं अनुच्छेद 24 में बच्चों के अधिकार सन्निहित है। कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे को गुलाम बनाकर खरीदा- बेचा नही जा सकता है और न ही उससे मजदूरी करायी जा सकती है। सभी बच्चों को निःशुल्क पढ़ाई का अधिकार मिला हुआ है। नगर निगम महापौर सविता देवी ने कहा कि बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की टीम का पूर्णिया मे इस तरह का प्रयास ऐतिहासिक है इसके पूर्व आज तक बच्चों के अधिकार पर ऐसी जनसंवाद आयोजित नही हुई है। जिला परिषद अध्यक्ष क्रांति देवी ने आयोजक संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा कि बाल मजदूरी के खिलाफ ऐसे सकारात्मक जनसंवाद निरंतर होने चाहिये। हम सभी जनप्रतिनिधियों के सहयोग और समर्थन सदैव आगे भी बना रहेगा।
जिला कॉर्डिनेटर सुमित प्रकाश ने बताया कि बाल संरक्षण तंत्र को पूर्णियां मे मजबूत करने के उद्देश्य से इस जनसंवाद का आयोजन किया गया। इसमे विभिन्न सिविल सोसायटी संगठन, कानून प्रवर्तन एजेंसिया, जिला परिषद सदस्य, मुखिया, वार्ड मेम्बर, सरपंच, वार्ड पार्षद एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के सदस्यों से कुल 200 की संख्या में बाल मजदूरी, बाल दुर्व्यापार के खिलाफ सामूहिक रूप संकल्प लिया। बाल शोषण के सभी स्तरों पर संवाद और समुदाय को जागरूक करना इस अभियान के मुख्य उद्देश्य है। सामूहिक जागरुकता कार्यक्रम के तहत लापता बच्चों की खोज और बाल दुर्व्यापार के खिलाफ गहन कारवाई मे स्थानीय पंचायतों के प्रतिनिधियों, नगर समितियों, आरडब्ल्यूए की मदद ली जाएगी।
पैनल सत्र को सम्बोधित करते हुए बच्चों के लिए चलाई जा रही परवरिश योजना एवं बच्चों के अधिकारो के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। बाल सुधार गृह की अपर्णा विश्वास ने बताया कि काउंसिलिंग के बाद बच्चे काफी अफसोस करते है कि वो ठीक से अपना नाम नही लिख पाते है बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाकर हम उन्हें अच्छे जीवन देने की शुरूआत कर सकते है। लोक अदालत न्यायाधीश बबिता चौधरी ने लोक सेवा प्राधिकार किस प्रकार आम जनता के बीच कार्य करती है उसपर प्रकाश डाला। बाल अधिकार विशेषज्ञ कल्पना देवी एवं अनीता कुमारी ने संयुक्त रूप से कहा कि शिक्षा, जागरूकता एवं संवेदना के बिना व्यक्ति का इंसान होना सम्भव नही। सरकार की तमाम योजनाएं जन्म से चलती है वंचित वर्ग को इससे जोड़ने के लिए हम सबो को सामूहिक प्रयास करने होंगे। बाल मजदूरी से मुक्त एक्टिविस्ट मो तालिब एवं छोटू ने अपने अनुभव तथा अभियान के कार्यक्रमों की जानकारी दी।