राधा मोहन
मोतिहारी। पर्वी चंपारण जिले में गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि के साथ ही पुछरिया बाबू टोला, तिवारी टोला व नयका टोला की लगभग सात हजार की आबादी का सम्पर्क सड़क से टूट गया है। शनिवार को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार निचले इलाके में रहने वाले दर्जनों लोगों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। बाढ़ पीड़ित अपने मवेशियों के साथ प्रभुटोला व मंगलापुर के समीप अपने -अपने मवेशियों के साथ बांध पर रहने को मजबूर हैंं। पशुपालक चन्द्रदेव महतो, हृदया महतो, देवंती देवी, जानकी देवी आदि की मानें तो बाढ़ का पानी घुसने से मवेशियों का चारा बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। घरों में रखा भूसा पानी में डूब चुका है। कृषि व किसानी पर खतरे का बादल मंडराने लगा है। सैकड़ों एकड़ में लगायी गयी धान व ईंख की फसल या तो डूब चुकी है या डूबने के कगार पर पहुंच चुुकी है। बांध पर शरण लिये ग्रामीणों ने बताया कि चिउड़ा मीठा व सूखा भोजन ही उनके भोजन का सहारा है। अगल—बगल के पड़ोसियों के द्वारा भोजन की व्यवस्था हो जा रही है। सरकारी स्तर पर अभी कुछ नहीं मिल सका है।
दियरा विकास मंच के अध्यक्ष अरुण तिवारी, दक्षिणी बरियरिया पंचायत के मुखिया श्यामनारायण मिश्र व सरपंच पप्पू कुमार मिश्रा ने बाढ़ पीड़ितों को सरकारी स्तर पर प्लास्टिक, मोमबती, माचिस के अलावा सूखा राशन व मवेशियों के लिए चारा तत्काल देने की मांग की है। अंचल अधिकारी सुरेश पासवान ने बताया किे किचेन शेड की व्यवस्था को लेकर स्थल का चयन कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है। ग्रामीण रामचंद्र राउत ने बताया कि गंडक नदी में जलस्तर वृद्धि के साथ ही जनजीवन अस्त—व्यस्त हो गया है। सड़क से पुछरिया गांव के तीनों टोलों का सम्पर्क भंग हो चुका है। गांव आने जाने का एक मात्र सहारा नाव ही है। पुछरिया के ग्रामीण चंद्रिका सहनी ने बताया कि नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही जीवन अस्त—व्यस्त हो गया है।