बिहार के पुलिस अब गांवों में बिछाएंगे खटिया, गुजारेंगे रात

बिहार के पुलिस अब गांवों में बिछाएंगे खटिया, गुजारेंगे रात

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  पटना। गांव के जन जन की समस्याओं और मामलों के निपटारे के लिए पुलिस अब गावं गाव में घर घर जायेगी। “बिहार पुलिस आपके द्वार” कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम शुरू करेगी। इसके तहत क्षेत्र के थानेदार सप्ताह में एक दिन गांव में रात बिताएंगे और गांव में खटिया लगाकर चौपाल पर बैठकर ग्रामीणों […]

 

पटना। गांव के जन जन की समस्याओं और मामलों के निपटारे के लिए पुलिस अब गावं गाव में घर घर जायेगी। “बिहार पुलिस आपके द्वार” कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम शुरू करेगी। इसके तहत क्षेत्र के थानेदार सप्ताह में एक दिन गांव में रात बिताएंगे और गांव में खटिया लगाकर चौपाल पर बैठकर ग्रामीणों की समस्या सुनने के साथ मामलों का निष्पादन करेंगे। ये ऐलान बिहार पुलिस के मुखिया गुप्तेश्वर पांडेय ने किया है।

“पुलिस आपके द्वार” कार्यक्रम के तहत डीएसपी पन्द्रह दिनों में एक दिन और एसपी, डीआईजी, आईजी समेत खुद डीजीपी महीने में एक दिन गांव में बिताते हुए मामले के निपटारे की दिशा में प्रयास करेंगे। “पुलिस आपके द्वार” कार्यक्रम सुबह में अगले महीने से शुरू कर दी जाएगी। इस कार्यक्रम के तहत पुलिस आम ग्रामीणों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को न केवल सुनेंगी बल्कि समाधान की दिशा में भी पहल करेंगी।

डीजीपी के अनुसार पुलिस मुख्यालय स्तर से इस कार्यक्रम की मॉनिटरिंग होगी। इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। शीघ्र ही मुख्यालय की ओर से दिए जाने वाले फॉर्मेट में रात बिताने वाले पुलिस के अधिकारी उसे भरकर मुख्यालय को सुपुर्द करेंगे। गांव में रात बिताने वाले अधिकारी भूमि या संपत्ति विवाद से संबंधित वैसे मामलों की भी जानकारी लेंगे, जिसके कारण विधि व्यवस्था का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने विगत दिनों भागलपुर जिला पुलिस की ओर से चलाए जा रहे “रोको-टोको” अभियान की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा उन्होंने अभियान में थोड़े से बदलाव कर सूबे के सभी जिलों में रोको टोको अभियान चलाए जाने की घोषणा की है। उन्होंने तारीफ करते हुए कहा कि बिहार पुलिस चूड़ा सत्तू लेकर भी अपनी ड्यूटी करती हैं। 16 से 17 घंटे तक काम लिए जाने के बावजूद जवान उत्साहित और ऊर्जा से युक्त होते हैं। सुशासन की सरकार में अपराधियों में अपराध को लेकर खौफ है और बिहार में अब पहले वाली स्थिति नहीं है। जब चार पहिया गाड़ियों की खिड़कियों से राइफल और बंदूकों की नाल निकाल कर लोग हथियारों का खुलेआम प्रदर्शन किया करते थे।

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