बिहार के मुख्यमंत्री ने बदल दी है सुशासन की परिभाषा : विद्यार्थी परिषद
बेगूसराय। बिहार सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) रद्द किए जाने से छात्रों और बेरोजगारों में काफी आक्रोश है। इस मामले को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आंदोलन तेज कर दिया है। आंदोलन के इसी कड़ी में मंगलवार को विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने एक दिवसीय धरना दिया। नगर अध्यक्ष ऋषभ कुमार के प्रतिष्ठान पर आयोजित धरना का नेतृत्व करते हुए पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजित चौधरी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशासन की परिभाषा ही बदल दी है। बगैर किसी जांच पड़ताल के शिक्षक पात्रता परीक्षा रद्द करना मुख्यमंत्री के छात्र विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। विद्यार्थी परिषद इस मानसिकता के खिलाफ आर-पार की लड़ाई तब तक जारी रखेगी, जब तक सरकार यह निर्णय वापस नहीं लेती है। प्रदेश कल्याण छात्रावास प्रमुख मुकेश कुमार एवं नगर अध्यक्ष ऋषभ कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार प्रशासनिक अधिकारियों के दिमाग का जैमर ठीक करें अन्यथा विद्यार्थी परिषद उन्हें कुर्सी से उतारने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। इतनी कड़ाई से परीक्षा संचालित किया गया, किसी प्रकार का कदाचार नहीं हुआ तो कोर्ट की अवमानना करते हुए परीक्षा रद्द करना एक कायरतापूर्ण कदम है। जी.डी. कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए सुशासन से अभिप्राय नीतीश का, नीतीश के लिए और नीतीश के द्वारा चलाया गया शासन है। जिसका विद्यार्थी परिषद आखिरी दम तक प्रतिकार करेगी। सत्ता सुख के लिए शिक्षा विरोधी और छात्र विरोधी निर्णय लेना सरकार को भारी पड़ेगा। काउंसिल मेंबर आजाद एवं आदित्य राज ने सरकार के इस कदम को हिटलरशाही निर्णय करार देते हुए कहा कि यदि सरकार अपने इस आत्मघाती कदम से पीछे नहीं हटती है तो विद्यार्थी परिषद सड़क पर भी उतरने को तैयार है। मौके पर शुभम कश्यप, शुभम, अंशु, अंकित, विवेक समेत कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
Comments