नई दिल्ली। विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि गत सैकड़ों वर्षों से अनवरत रूप से पुरी में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की परम्परागत रथ यात्रा इस वर्ष भी निकाली जानी चाहिए। कोरोना महामारी के संकटकाल में भी सभी नियमों तथा जन स्वास्थ्य सम्बन्धी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है। उन्होंने कहा कि यात्रा की अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए कोई मार्ग अवश्य ढूंढना चाहिए। आज की परिस्थितियों में यह अपेक्षा कदापि नहीं है कि यात्रा में दस लाख भक्त एकत्रित हों। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना भी की। विहिप महामंत्री ने रविवार को जारी विज्ञप्ति में कहा कि कोरोना संकटकाल में भी, जन-स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, प्राचीन परम्परा की अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए, उचित मार्ग निकालना, राज्य सरकार का दायित्व है। राज्य सरकार अपने इस दायित्व के पालन में पूरी तरह विफल रही है। वास्तव में ओडिशा सरकार सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस सम्बन्ध में सभी पहलू ठीक से नहीं रख पाई।
परांडे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को इस सम्बन्ध में निर्णय लेने से पूर्व सभी सम्बन्धित पक्षों को सुनना चाहिए था। कम से कम पुरी के शंकराचार्य गोवर्धन पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के साथ मंदिर के ट्रस्टियों तथा यात्रा प्रबंधन समिति को तो सुना ही जाना चाहिए था। भगवान के रथ को प्रतीकात्मक रूप से हाथियों, यांत्रिक सहायता या कोविड परीक्षित पूरी तरह से स्वस्थ व सक्षम सीमित सेवाइतों के माध्यम से भी खींचा जा सकता है। यात्रा की इस पुरातन महान परम्परा के टूटने पर मंदिर के धार्मिक विधि विधानों में व्यवधान उपस्थित होने की सम्भावना अनेक भक्तों ने व्यक्त की है।
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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के अवरोधों को दूर किया जाए : विहिप
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