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त्रिदिवसीय संत सम्मेलन आरंभ, कई प्रान्तों के हजारों कबीर पंथी संतो का हुआ समागम
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देश का आठवां व बिहार का इकलौता विश्व कबीर शांति स्तंभ है स्थापित
मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। प्रखंड क्षेत्र के करीब डेढ़ सौ साल पुराने ऐतिहासिक कबीर आश्रम पर अनंत चतुर्दशी के अवसर पर होने वाले त्रिदिवसीय सन्त सम्मेलन आरंभ हो गई है। सम्मेलन के दूसरे दिन सैकड़ो की तादाद में संतो ने गाजे बाजे घोड़ा व वाहनों के काफिले के साथ बेलवतिया से चलकर पंडितपुर स्थित केशव साहेब के गुरु छतर बाबा समाधि स्थल पर पहुंच कर पूजा अर्चना की। उक्त सम्मेलन में पड़ोसी देश नेपाल, यूपी, मध्य प्रदेश सहित अन्य जगहों के कबीर पंथी संत महात्मा पहुंचे हुए हैं।
विश्व कबीर शांति स्तंभ बना आकर्षक का केन्द्र :-
खासकर इस आश्रम परिसर में विश्व कबीर शांति स्तंभ स्थापित है जो संतो के लिए आकर्षण का केंद्र है. इस तरह का स्तंभ पूरे भारत में मध्य प्रदेश के सात जगह पर सरकार ने बनवाया है जबकि मध्य प्रदेश को छोड़ केवल इसी स्थान पर ही ऐसा स्तंभ है.
1875 में हुई थी आश्रम की स्थापना :-
इस स्तंभ का निर्माण तत्कालीन महंत स्व० रामस्नेही दास ने 2002 में किया जबकि यह आश्रम 1875 ई० में तत्कालीन महंत स्व० केशव साहेब ने स्थापित किया। इस स्तंभ के अलावा अन्य सभी स्तंभ मध्य प्रदेश शासन के द्वारा बनाये गए है। इस आश्रम पर प्रति वर्ष अनंत चतुर्दशी को त्रिदिवाशिये संत सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, जिसमे देश विदेश के संत महात्मा भक्त का समागम होता है। यह आश्रम धार्मिक समाजिक राजनैतिक व अध्यात्मिक साधना का केंद्र रहा है। इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में गौर करें, तो आश्रम की स्थापना करने वाले महंथ स्व० केशव साहब ने 1875 ई० में की और वे 1895 तक महंथ रहे उसके बाद स्व० श्याम बिहारी दास साहब सन 1895 से 1901 ई०, महंथ स्व० रिशाल साहब 1901 से 1929 तक, महंथ स्व० ब्रह्मदेव साहब सन 1929 से 1954 ई० तक , उसके बाद महंथ स्व० कमल साहेब सन 1954 से 1975 तक रहे एवं उन्होंने आश्रम के 100 वे स्थापना दिवस पर अपने जीवन काल में ही रामस्नेही दास को महंथ की गदी पर आसीन करते हुए उन्हें महंथ बनाया और महंथ रामस्नेही दास ने अपने काल में ही विश्व कबीर शांति स्तंभ की स्थापना किया तथा वे भी अपने जीवन काल में ही 15 सितम्बर 1997 को अपना कार्य भार रामरूप दास को सौपा। वे सन 31 मई 2002 को गुजर गए फ़िलहाल के महंथ डॉ० त्रिपुरारी दास को 07 सितम्बर 2014 को बनाया गया और तब से उन्ही के नेतृत्व में आश्रम का संचालन हो रहा है।
पर्यटन स्थल के रूप में होगा विकसित :-
वैसे इस आश्रम को पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए विधान सभा में पुरजोर मांग उठाई और घोषणा भी हुआ, लेकिन इधर करीब पांच वर्षों से इसके विकास के दिशा में कोई कार्रवाई होते नही दिख रही है। हालांकि ग्रामीण सहित इलाके के लोगों को उम्मीद है कि पर्यटन मंत्री श्री कुमार स्थानीय है और चार पांच किलोमीटर की दूरी पर उनका पैतृक गांव भी है। इसी क्षेत्र की जनता ने उन्हें विधायक भी बनाया है और उन्होंने वर्ष 2008 से ही बेलवतिया कबीर आश्रम को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए लड़ाई भी लड़ी है। फिलहाल वे खुद ही पर्यटन मंत्री है।