डीजीपी साहब मोतिहारी पुलिस कर रही जप्त गाड़ियों का निजी इस्तेमाल, बेंच रही है कीमती पार्ट्स

डीजीपी साहब मोतिहारी पुलिस कर रही जप्त गाड़ियों का निजी इस्तेमाल, बेंच रही है कीमती पार्ट्स

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हरसिद्धि थाने से जुड़े मामले मे सीएम कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद हरकत मे आई पुलिस राकेश कुमार मोतिहारी: जब्त गाड़ियों का निजी इस्तेमाल करने एवं कोर्ट के आदेश के बाद भी गाड़ी को गाड़ी मालिक को नहीं सौपने और जप्त गाड़ियों के सारे महत्वपूर्ण पार्ट्स को निकाल कर बेच देने जैसे आरोपों को झेलती […]
  • हरसिद्धि थाने से जुड़े मामले मे सीएम कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद हरकत मे आई पुलिस

राकेश कुमार

मोतिहारी: जब्त गाड़ियों का निजी इस्तेमाल करने एवं कोर्ट के आदेश के बाद भी गाड़ी को गाड़ी मालिक को नहीं सौपने और जप्त गाड़ियों के सारे महत्वपूर्ण पार्ट्स को निकाल कर बेच देने जैसे आरोपों को झेलती रही मोतिहारी पुलिस पुनः ऐसे ही एक संगीन आरोपों के कारण सुर्खियों मे है। बता दे कि हाल ही मे गाड़ी मालिक के एक साल के कड़ी मसक्क्त के बाद रघुनाथपुर थानाध्यक्ष संदीप कुमार द्वारा गाड़ी सौपा गया था।

नया मामला हरसिद्धि थाने से जुड़ा हुआ है। हरसिद्धि पुलिस दो वर्ष पूर्व एक बोलेरो जप्त की। आरोप है कि जब्त बोलेरे को तत्कालीन थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने जप्त करने के साथ ही निजी इस्तेमाल मे लाना शुरू कर दिया। बताया गया कि एक छोटे दुर्घटना के मामले मे उक्त बोलेरो को जप्त किया गया था जिसके जब्ती सूची मे पुलिस ने लिखा था कि उक्त बोलेरो चालू हालत मे था, जो कही से भी छतिग्रस्त नही पाया गया।

मोतिहारी के एक न्यायालय मे दर्ज मामले मे मबूबब खान ने आरोप लगाया है कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने दिनांक 14 अगस्त, 2017 को मलाही थाने के चिंताम्नपुर निवासी गैबुद्दीन खान को उक्त जप्त बोलेरो को सौपने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने गाड़ी को वापस करने से सीधे इंकार करते हुये गाड़ी मालिक एवं उनके संबंधियों को भागा दिया। यही नहीं गाड़ी के ज़्यादातर पार्ट्स को बेच दिया गया। अब थाने मे सिर्फ चेचीस बचा है।

जिलाधिकारी एवं पुलिस महानिरीक्षक को दिये आवेदन मे आरोप लगाया गया है कि कोर्ट के आदेश को दिखते हुये जब गाड़ी की मांग की गयी तो तत्कालीन थाना प्रभारी ने पहले तो रुपए की मांग किया, फिर नहीं देने पर गाड़ी मालिक के साथ मारपीट कर उसे भागा दिया।

पुलिस अधीक्षक नवीनचन्द्र झा ने बताया कि मामला उनके संज्ञान मे नहीं है। पीड़ित व्यक्ति उनसे मिलकर समाधान पर बात कर सकता है। इस मामले मे कोई दोषी है तो कार्रवाई भी होगी।

हद तो तब हो गयी जब तत्कालीन थाना प्रभारी बिनोद कुमार सिंह खुद उस गाड़ी से अरेराज अनुमंडल कार्यालय के बाहर खड़े दिखे तो गाड़ी मालिक ने उस गाड़ी को पकड़ कर आरोप लगाया की यह उनका गाड़ी है, जिसका नंबर प्लेट हटा कर पुलिस इसका इस्तेमाल कर रही है। मामले मे एक विडियो भी वायरल हुआ। घटना स्थल पर गाड़ी मालिक के हंगामे को देखते हुये तत्कालीन अरेराज अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नुरुल हक़ ने गाड़ी मालिक को अपने कार्यालय मे बुलाया तभी पुलिस गाड़ी लेकर भाग गयी।

पुलिस के बेशर्मी की हद तो तब हो गयी जब दुबारा गाड़ी मालिक ने उक्त गाड़ी को मोतिहारी के सदर अस्पताल मे घेर लिया, लेकिन तब भी बीच-बचाव कर पुलिस गाड़ी लेकर निकल गयी। मामले मे गाड़ी मालिक मुख्यमंत्री नितीश कुमार को भी एक पत्र देकर घटना से अवगत करवाया, लेकिन खबर लिखे जाने तक गाड़ी पुलिस के कब्जे मे ही है।

मुख्यमंत्री को दिये आवेदन मे बताया गया कि गाड़ी का चारों चक्का, कीमती पार्ट्स, बैट्री, म्यूजिक सिस्टम निकाल कर बेच दिया गया है। एक पुराना रिंग एवं टायर लगा दिया गया है। गाड़ी मालिक के दामाद महबूब खान ने बताया कि अब पुलिस गाड़ी के डब्बे को सौपने के लिए मुझे ढूंढ रही है। जबकि मुकदमे के अनुसंधानकर्ता मंकेश्वर महतो ने अपने पत्रांक 732 दिनांक 08 जुलाई 2018 से बताया कि गाड़ी चलती हुयी हालत मे थी, जिसमे दुर्घटना के समय कोई खरोंच नहीं आयी थी।

मामले मे पूछे जाने पर अरेराज अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी ज्योति प्रकाश ने कहा कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार के यहां से गाड़ी को सौपने का आदेश प्राप्त हुआ है, गाड़ी मालिक से बात हुई है। गाड़ी सौपी जाएगी एवं मामले मे कार्रवाई भी की जाएगी।

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