बता दें कि बिहार के सबसे छोटे जिले शिवहर में एक विधानसभा क्षेत्र आता है। 1971 के बाद शिवहर संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया। शिवहर संसदीय क्षेत्र में पूर्वी चंपारण जिले के ढाका, चिरैया ,मधुबन, आता है। वहीं सीतामढ़ी जिले के रीगा, बेलसंड, विधानसभा और शिवहर जिले का एक मात्र विधानसभा क्षेत्र शामिल है। शिवहर संसदीय क्षेत्र वर्ष 19 77 के चुनाव में अस्तित्व में आया। इससे पहले पुपरी सीट और उससे पहले 1953 में मुजफ्फरपुर नॉर्थ वेस्ट का यह क्षेत्र था। शिवहर संसदीय सीट के गठन के बाद क्षेत्र से सर्वप्रथम सबसे पहले 1953 में शिवहर संसदीय सीट से मुजफ्फरपुर नॉर्थवेस्ट कहा जाता था। जहां से ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा, ने जीत दर्ज की उसके बाद जुगल किशोर सिन्हा की पत्नी राम दुलारी सिन्हा, तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुकी है। इसके बाद इसका नाम पुपरी संसदीय क्षेत्र हो गया। 1957 में दिग्विजय नारायण सिंह, कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की उसके बाद आता है 1962 में रामदुलारी सिन्हा, कांग्रेस के टिकट पर तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुकी थी। 1967 में एसपी साहू, कांग्रेस के टिकट पर,तो 1971 में पहली बार हरिकिशोर सिंह, ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1977 का चुनाव आता है। औपचारिक रूप से शिवहर संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया।
सबसे पहले शिवहर संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया और 1977 में ठाकुर गिरजानंद सिंह, जनता पार्टी से जीत दर्ज कराई, उसके बाद रामदुलारी सिन्हा 1980 में कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार, तो 1984 में कांग्रेस की लहर में तीसरी बार तीसरी बार जीत दर्ज कर दिल्ली पहुंची थी है । फिर आता है 1989 दूसरी बार शिवहर संसदीय क्षेत्र से हरिकिशोर सिंह, को क्षेत्र की जनता ने प्रतिनिधित्व करने का मौका जनता दल से मिलता है।
उसके ठीक बाद 1991 में भी हरिकिशोर सिंह जीते थे। अब आता है 1996 जहां से जहां से आनंद मोहन, पहली बार समता पार्टी से चुनाव जीते और दुर्भाग्यवश दो वर्ष के बाद चुनाव फिर हुआ और आनंद मोहन फिर चुनाव जीत गए। समय ऐसा हुआ कि 1998 अगले ही वर्ष यानी 1999 में भी चुनाव हुआ और इस बार आनंद मोहन को हार मिली। पहली बार मोहम्मद अनवर सांसद बने और जीत दर्ज की। 2004 में राजद के टिकट पर सीताराम सिंह, जीतने को मौका मिला और 2009 के चुनाव में रामादेवी भाजपा के भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार पारलियामेंट पहुंची। 2009 के बाद 2014 में भि शिवहर संसदीय क्षेत्र की जनता ने दूसरी बार रामा देवी को चुनाव जीता कर पार्लियामेंट भेजने का काम किया।