Spread the love
मोतिहारी। बिहार शिक्षा मंच के संयोजक व स्नातकोत्तर शिक्षक संघ, जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के सचिव तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के भावी प्रत्याशी प्रो. रणजीत कुमार ने आंदोलित नियोजित शिक्षकों के बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिये गए अपमानजनक बयान की निंदा करते हुए शिक्षकों की मांगों को पूरी तरह से जायज बताते हुए हड़ताल एवम आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया है। प्रो कुमार ने कहा है कि शिक्षकों के संबंध में मुख्यमंत्री का बयान उनकी हठधर्मिता एवम सत्ताजनित अहंकार को दर्शाता है। नियोजित शिक्षकों को न तो वाजिब वेतनमान मिल रहा है और न ही वर्तमान नियोजन नियमावली के अनुसार उन्हें सेवांत लाभ, पेंशन, अंतरजिला स्थानांतरण आदि की सुविधा हासिल है। निजी स्कूलों एवम निजी कंपनी में काम करनेवाले का भी भविष्य निधि कटौती होता है जबकि पटना उच्च
न्यायालय के आदेश के वाबजूद नियोजित शिक्षकों को भविष्य निधि कटौती के लाभ से सरकार ने अब तक वंचित रखा है।शिक्षकों को 15 हजार से 30 हजार के बीच वेतन मिल रहा है जो वेतनमान वाले लिपिक एवम अनुसेवक को मिल रहे वेतन से भी कम है। महँगाई के इस दौर में अल्प वेतन से परिवार का भरण पोषण और बच्चों की शिक्षा दीक्षा नामुमकिन है। बिहार सरकार ने सकारात्मक कदम उठाते हुए मदरसा के शिक्षकों को वेतनमान पेंशन देने की घोषणा को लागू किया।

नियोजित शिक्षक भी सरकार के दुश्मन नहीं हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को उदारता एवम बड़ा दिल दिखाते हुए शिक्षा, शिक्षक एवम शिक्षार्थियों के हित में समान वेतन और समान सेवा शर्त को अविलंब लागू करना चाहिए। विदित हो कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कार्य कर विधानसभा का चुनाव फतह किया और शिक्षकों पर दमनचक्र चलाने वाले झारखंड में सत्ताधारी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। लोकतंत्र में समस्या का समाधान संवाद से ही निकल सकता है। सरकार और शिक्षक संगठनों के बीच संवाद हीनता की स्थिति लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि हड़ताली शिक्षक संगठनो से सरकार को अविलंब वार्ता कर 4 लाख नियोजित शिक्षकों की जायज माँगो पर सकारात्मक निर्णय लेने की जरूरत है। ताकि, हड़ताल की वजह से राज्य में ठप्प पठन पाठन का काम पुनः प्रारंभ हो सके।