नैनीताल। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल विज्ञानी अमेरिका में डेमोक्रेट जो बाइडेन के राष्ट्रपति और भारतवंशी कमला हैरिस के उप राष्ट्रपति पद पर जीत से खुश और उत्साहित हैं। अब वह वर्षों से लटके विश्व की सबसे बड़ी स्वप्न सरीखी 30 मीटर व्यास की दूरबीन-टीएमटी यानी ‘थर्टी मीटर टेलीस्कोप’ के धरातल पर […]
नैनीताल। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल विज्ञानी अमेरिका में डेमोक्रेट जो बाइडेन के राष्ट्रपति और भारतवंशी कमला हैरिस के उप राष्ट्रपति पद पर जीत से खुश और उत्साहित हैं। अब वह वर्षों से लटके विश्व की सबसे बड़ी स्वप्न सरीखी 30 मीटर व्यास की दूरबीन-टीएमटी यानी ‘थर्टी मीटर टेलीस्कोप’ के धरातल पर जल्द उतरने के प्रति आश्वस्त लग रहे हैं।
हवाई द्वीप में लगने वाली इस अगली पीढ़ी की महत्वाकांक्षी वेधशाला परियोजना में भारत, अमेरिका, कनाडा, चीन और जापान आदि देश भागीदार हैं। यह परियोजना पिछले डेमोक्रेट अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सत्ताच्युत होने के बाद से लंबित है। 2009 से 2017 के दौरान बराक ओबामा प्रशासन की उच्च प्राथमिकता पर होने के बावजूद टीएमटी परियोजना, डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान मौनाका इनिन हवाई द्वीप में अपने प्रस्तावित स्थल के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण धरातल पर नहीं उतर सकी।
इस परियोजना की दुनिया की सबसे उन्नत और सक्षम ऑप्टिकल, अवरक्त किरणों युक्त और मिडिनफ्राइड वेधशाला के रूप में कल्पना की गई थी, जो खगोलविदों को अंतरिक्ष में गहराई से देखने और ब्रह्मांडीय पिंडों का निरीक्षण करने की सुविधा उपलब्ध कराती। अभूतपूर्व संवेदनशीलता के कारण इससे नासा की हब्बल स्पेस टेलीस्कोप के मुकाबले 12 गुने बेहतर चित्र मिलते। दो बिलियन डॉलर की इस परियोजना में भारत को भी 10 फीसद का योगदान करना है।
एरीज में इस दूरबीन का आधार यानी सेगमेंट असेंबली बननी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मौनाके में प्रस्तावित साइट टीएमटी के लिए सबसे उपयुक्त है। हालांकि खगोलविदों ने शुरुआत में मैक्सिको और भारत के लद्दाख में भी टीएमटी को स्थापित करने के लिए वैकल्पिक साइट के रूप में भी चर्चा की थी। ट्रम्प प्रशासन के दौर में यह तय माना जाने लगा था कि अमेरिका द्वारा हवाई में इसे स्थापित न कर पाने की स्थिति में इसे कैनरी द्वीप में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। अब वापस डेमोक्रेट बाइडेन के चुनाव जीतने के बाद माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत में नया अमेरिकी प्रशासन इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अपनी प्राथमिकता में धनराशि जारी करेगा। वहीं, भारत को परियोजना के लिए कुल 492 खंडों में से 83 का योगदान करने की उम्मीद है।
एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ.शशि भूषण पांडे ने भी यह उम्मीद जताई है। उल्लेखनीय है कि डॉ. पांडे अक्टूबर में भौतिकी का नोबल पुरस्कार जीतने वाली एंड्रिया घेज के साथ टीएमटी परियोजना में सहयोगी एवं उनके साथ वर्ष 2013-14 से शोध पत्र के सह लेखक रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि अब टीएमटी के निर्माण में तेजी आएगी। टीएमटी के निर्माण से विश्वभर के वैज्ञानिकों में ब्रह्मांड की समझ और उसमें मौजूद ऊर्जाओं पर अध्ययन करने के मामले में क्रांति आ सकती है।
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