नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोरोना संकट के दौरान पटाखों पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से जरिये सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 नवम्बर को फैसला सुनाने […]
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोरोना संकट के दौरान पटाखों पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से जरिये सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 नवम्बर को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
चार नवम्बर को एनजीटी ने 23 राज्यों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके राज्यों में भी ओडिशा और राजस्थान की तरह पटाखों पर रोक लगा दी जाए। एनजीटी ने जिन राज्यों को नोटिस जारी किया था, उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, ओडिशा,पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इन राज्यों के 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से काफी ज्यादा है। एनजीटी ने इन राज्यों से पूछा है कि जिन 122 शहरों में वायु प्रदूषण तय सीमा से ज्यादा है, क्या वहां पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है।
एनजीटी ने पाया कि ओडिशा और राजस्थान सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पटाखों पर रोक लगाने का फैसला किया है। ओडिशा में दस नवम्बर से 30 नवम्बर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। राजस्थान सरकार ने किसी भी तरह के पटाखे के बेचने औऱ उसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। राजस्थान सरकार ने पटाखे बेचने वाले पर दस हजार रुपये जबकि पटाखे फोड़ने वाले पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। एनजीटी ने भोपाल एनजीटी के बेंच में पटाखे पर रोक के लिए दायर याचिका को भी अपने यहां ट्रांसफर कर दिया है।
दो नवम्बर को एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या 7 से 30 नवम्बर के बीच पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है। एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान के अलावा दिल्ली पुलिस के कमिश्नर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
याचिका इंडियन सोशल रिस्पांसिबिलिटी नेटवर्क की ओर से संतोष गुप्ता ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान समय में वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना का खतरा और गंभीर होने की संभावना है। इसलिए दिल्ली एनसीआर में पटाखा जलाए जाने पर रोक के लिए कदम उठाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि ग्रीन पटाखे मौजूदा समस्या का हल नहीं है।
याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है त्योहारों के मौसम में वायु प्रदूषण बढ़ने पर कोरोना खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है। कोरोना के केस दिल्ली में रोजाना 15 हजार तक जा सकते हैं, जो कि फिलहाल पांच हजार रोजाना आ रहे हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर गौर किया है, जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान की बात की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की वजह से कोरोना की स्थिति पर गौर नहीं किया है। स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए और खराब हो सकती है।
एनजीटी ने कहा कि जो रिपोर्ट आ रही है, उसके मुताबिक दिल्ली में वायु की गुणवत्ता और खराब हो सकती है और कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स औसतन 410 से 450 के बीच है, जो काफी खतरनाक है। इस स्थिति में सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। विशेषज्ञों की राय के मुताबिक वायु प्रदूषण तथा कोरोना का गहरा संबंध है और वायु प्रदूषण बढ़ने से कोरोना के बढ़ने का भी खतरा ज्यादा है।
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