डॉ. दिलीप अग्निहोत्री पिछले कई दशकों में कृषि कार्य की लागत तो बढ़ती रही, लेकिन उसके अनुरूप किसानों को लाभ दिलाने के पर्याप्त प्रयास नहीं किये गए। इससे किसानों का कृषि से धीरे-धीरे मोहभंग होता गया। गांवों से बेहिसाब पलायन इसका प्रमाण था। इसका मतलब था कि पिछली व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी। शायद […]
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
पिछले कई दशकों में कृषि कार्य की लागत तो बढ़ती रही, लेकिन उसके अनुरूप किसानों को लाभ दिलाने के पर्याप्त प्रयास नहीं किये गए। इससे किसानों का कृषि से धीरे-धीरे मोहभंग होता गया। गांवों से बेहिसाब पलायन इसका प्रमाण था। इसका मतलब था कि पिछली व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी। शायद इसीलिए कांग्रेस सहित अनेक पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सुधार का वादा किया था। आज भी पुरानी व्यवस्था के पक्ष में इनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने लागत कम करने और कृषि आय को बढ़ाने का प्रयास किया। किसानों की आय दोगुनी करने के साथ ही युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की व्यवस्था की गई है। इसके पहले किसी सरकार ने यह कार्य नहीं किया था। इस फंड का उपयोग गांवों में कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में किया जाएगा। इसके माध्यम से कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास हेतु दस हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रावधान किया गया है।
इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा से किसान उपज को कुछ समय रोककर बाद में उचित मूल्य पर बेचने में सक्षम होंगे। छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव गांव खुलने से किसानों को लाभ मिलेगा, रोजगार के अवसर खुलेंगे और किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिलना प्रारंभ होगा। सरकार ने दस हजार एफपीओ बनाने की योजना प्रारंभ की है। जिसपर केंद्र सरकार 6,850 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इनके माध्यम से छोटे-मंझोले किसानों, जिनकी निवेश की शक्ति कम होती है, रकबा छोटा होता है और वे महंगी फसलों के लिए निवेश करने में सक्षम नहीं होते, उन्हें संगठित किया जाएगा। जिससे उनके खेती के खर्चों में कमी आए, उन्हें आधुनिक तकनीकों का लाभ मिले, उनके लिए मार्केटिंग की सुविधा विकसित हो और इन सबसे उनकी आय बढ़े। नए एफपीओ को क्रांतिकारी कदम के रूप में माना जा रहा है।
कृषि से सम्बद्ध सेक्टरों के लिए लगभग पचास हजार करोड़ रुपये के पैकेजों सहित अन्य उपाय भी किसानों व कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए सरकार ने किए हैं, जिन पर अमल प्रारंभ हो चुका है। सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, किसानों की आय बढ़ाने एवं उनके जीवन स्तर में आमूलचूल बदलाव लाने के उद्देश्य से नए कृषि कानून बनाए हैं, जिनसे किसान हितों का संरक्षण किया गया है। सरकार का लक्ष्य देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र के योगदान को बढ़ाना है। सरकार की योजनाओं का लाभ इस दौरान किसानों को मिला है। कृषि एवं किसान कल्याण के लिए बीते छह साल से जितने कार्य किए गए हैं, पहले किसी भी सरकार में इस प्रकार की पहल नहीं हुई।
कुुुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए पैंतीस सौ करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। कैबिनेट के इस फैसले से पांच करोड़ गन्ना किसानों को लाभ पहुंचेगा। केन्द्र सरकार के इस फैसले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि देश के करोड़ों अन्नदाताओं के लिए यह विशेष खुशी का दिन है। यह धनराशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर होगा। इससे चीनी मिलों से जुड़े लाखों कामगारों को भी लाभ पहुंचने वाला है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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