गया में 16लाख पौधारोपण से जलवायु परिवर्तन
गया। जिला में 16 लाख पौधारोपण से जलवायु परिवर्तन हुआ। विगत कई दशकों से जल संकट एवं गिरते भूजल स्तर पर नियंत्रण करने में सफलता मिली। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि अनियमित वर्षा एवं कई वर्षों से उत्पन्न जल संकट से निजात पाने के लिए वर्ष 2019- 20 में कई बृहद कार्यक्रम चलाएं गए।जिले के सभी पंचायतों में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया, ग्राउंड वाटर (भूजल स्तर) व सरफेस वाटर लेवल (धरातल जो जलस्तर ) को बढ़ाने हेतु व्यापक पैमाने पर चेक डैम, रिचार्ज बोरवेल, रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग, सोख़्ता निर्माण, खाइयों, पइन व आहर का निर्माण कराया गया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में बदलाव हेतु तथा वर्षा हेतु बादलों को आकर्षित करने के लिए लगभग 16 लाख पौधारोपण किया गया। डीएम के अनुसार परिणाम काफी सकारात्मक निकला। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में गया का भू जल स्तर काफी अच्छा रहा। साथ ही हीट्वेब का भी प्रभाव कम रहा। गया में जल संकट नगण्य रहा है। जिसके कारण वर्तमान वर्ष में कहीं भी जलापूर्ति के लिए टैंकर की आवश्यकता नहीं पड़ी। जबकि विगत वर्ष लगभग 188 टैंकरों से प्रभावित ग्रामों में जल आपूर्ति की गई थी। उन्होंने कहा कि जिले के विभिन्न प्रखण्डों में कुल-1279 रिचार्ज बोरवेल का निर्माण किया गया है। साथ ही विगत वर्ष से अबतक 884 रूफटॉप वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया है। जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने आगे कहा कि विश्व विख्यात वाटर मैन रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता डा. राजेंद्र सिंह को जल संरक्षण के लिए सामुदायिक जागरूकता सृजन के लिए जिले में आमंत्रित किया गया था। जिनके नेतृत्व में कई दिनों तक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जल संरक्षण के लिए लोगों को जुटाने के लिए जल यात्रा, सन्ध्या चैपाल और जल पंचायत का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि जिले के 24 प्रखण्डों में 329 चेक डैम बनाए गए हैं, जो सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करा रहा है। साथ ही इससे पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है तथा पर्यावरण के अनुकूल जल संरक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिला में 2000 से अधिक खाइयां और 17,418 सोख्ता के निर्माण से भी परिवर्तन लक्षित हुआ है। उल्लेखनीय है कि जल शक्ति अभियान के अंतर्गत बेहतरीन कार्य करने के लिए गया जिला को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
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