गांधी जी के 150वें जन्मदिन पर मेडागास्कर में भारतीय दूतावास में गांधी कथा का आयोजन

गांधी जी के 150वें जन्मदिन पर मेडागास्कर में भारतीय दूतावास में गांधी कथा का आयोजन

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अंतानानारिवो। गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में अंतानानारिवो स्थित भारतीय दूतावास में गांधी कथा का आयोजन किया गया। इसकी थीम ‘ द ओशनिक गांधी’ रखी गई है। यह गांधी कथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास स्टडी के डायरेक्टर और प्रसिद्ध गांधीवादी स्कॉलर प्रोफसर मकारंद परांजपे द्वारा कही गई। इस कार्यक्रम में मेडागास्कर और कोमोरोस से आए प्रतियोगी शामिल […]

अंतानानारिवो। गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में अंतानानारिवो स्थित भारतीय दूतावास में गांधी कथा का आयोजन किया गया। इसकी थीम ‘ द ओशनिक गांधी’ रखी गई है। यह गांधी कथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास स्टडी के डायरेक्टर और प्रसिद्ध गांधीवादी स्कॉलर प्रोफसर मकारंद परांजपे द्वारा कही गई।

इस कार्यक्रम में मेडागास्कर और कोमोरोस से आए प्रतियोगी शामिल हुए। साथ ही दूतावास के फेसबुक पेज पर इसका लाइव प्रसारण भी किया गया।

इस दौरान प्रोफेसर परांजपे ने बताया कि किस प्रकार लाक्षणिक और पूर्ण रूप से गांधी के जीवन से लोग प्रभावित हुए। महात्मा गांधी ने कानून की पढ़ाई के दौरान छात्र जीवन में हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर से इंग्लैंड तक की यात्रा की। इसके बाद वे भारत लौट आए थे।

प्रोफेसर ने बताया कि किस तरह वह अपनी तरह का अलग इंसान बने। उन्होंने अटलांटिक महासागर को साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का पर्याय कहा और हिंद महासागर को दोस्ती और सच्चाई को अहमियत देने वाला बताया।

गांधी खुले और नए विचार वाले व्यक्ति थे। वह विश्वप्रेमी और निष्ठावान राष्ट्रवादी थे। इसलिए उनमें कई धाराओं का समागम था।

प्रोफेसर ने बताया कि गांधी का मानना था कि समाज सागर की तरह है, जहां पर हर व्यक्ति एक केन्द्र है और खुद को अभिव्यक्त करने की पूरी क्षमता रखता है। उनका मानना था कि मनुष्य की भावना में जो बदलाव ला सकता है, वो उसका दिमाग है।

कथा के बाद सवाल जवाब का सत्र हुआ, जिसमें गांधी के मूल्यों के अलग पहलुओं से संबंधित जानकारी प्रोफेसर ने दी।

इस अवसर पर राजदूत अभय कुमार ने बताया कि मेडागास्कर में 18000 से अधिक लोग भारतीय मूल के लोग हैं। इनमें अधिकतर गुजरात से हैं। कोमरोस में छोटा समुदाय है, जहां 250 लोग भारतीय मूल के लोग रहते हैं।

उन्होंने कहा कि गांधी जी की कही बातें आज भी प्रभावी हैं, जब 21वीं सदी में पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन, दूषित वातावरण और जैव विविधता के नुकसान का अभूतपूर्व खतरा बढ़ रहा है।

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