चीन पर अब पहले से ज्यादा पैनी नजर रखने की जरूरत

चीन पर अब पहले से ज्यादा पैनी नजर रखने की जरूरत

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नई दिल्ली​​​​। ​चीन सीमा पर ​इतिहास एक बार फिर 5​9​ साल बाद खुद को दोहरा रहा है। ​​बुधवार को​ ​चीन की घोषणा के बाद ​आज राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने ​बयान देकर ऐलान किया कि पूर्वी लद्दाख से ​सटी एलएसी पर पिछले नौ महीने से चल रहा टकराव अब खत्म होने जा र​​हा है​ लेकिन इतिहास गवाह है कि ​इससे पहले पीछे हटने के […]
नई दिल्ली​​​​ ​चीन सीमा पर ​इतिहास एक बार फिर 5​9​ साल बाद खुद को दोहरा रहा है। बुधवार को​ ​चीन की घोषणा के बाद ​आज राज्यसभा में रक्षा मंत्री ने ​बयान देकर ऐलान किया कि पूर्वी लद्दाख से ​सटी एलएसी पर पिछले नौ महीने से चल रहा टकराव अब खत्म होने जा र​​हा है​ लेकिन इतिहास गवाह है कि ​इससे पहले पीछे हटने के नाम पर चीन से धोखा ही मिला है​ फ़िलहाल भारत और चीन के बीच सिर्फ पैन्गोंग झील के दोनों ओर से पीछे हटने ​का समझौता ​हुआ है​​ बाकी ​विवादित क्षेत्र डेपसांग प्लेन, गोगरा और हॉट-स्प्रिंग ​के बारे में पहला चरण ​पूरा होने के बाद फिर चीन से वार्ता होगी​​।
 
​भारत और चीन के मौजूदा विवाद के दौरान ही भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू सहित 20 जवान गलवान घाटी में शहीद हुए हैं।​ इस खूनी संघर्ष के बाद चीनी सेना 2 किमी. पीछे हटी थी। चीन के गलवान से पीछे हटने को अगर सन 1962 के नजरिये से देखें तो पता चलता है कि 14 जुलाई, 1962 को भी गलवान से चीनी सेना पीछे हटी थी लेकिन इसके 91 दिन बाद ही चीन ने एकतरफा युद्ध छेड़ दिया था। हालांकि 2021 का भारत बहुत अलग है, इसलिए इस बार चीन को पीछे धकेलने के लिए भारत की ओर से बनाए गए सैन्य, राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव ने चीनियों को ‘बैकफुट’ पर जाने के लिए मजबूर किया है। इसके बावजूद धोखेबाज ड्रैगन पर अब पहले से ज्यादा पैनी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि ​भारतीय ​सेना ​59 साल पहले 1962 में चीन से धोखा खा चुकी है। 
सेना के एक अधिकारी का कहना है कि 1959 में हुए समझौते के आधार पर 61 साल से​ पैन्गोंग झील का उत्तरी किनारा यानी फिंगर एरिया भारतीय सीमा में है​ मौजूदा तनाव से पहले ​चीन का स्थायी कैम्प ​फिंगर-8 पर था​​। भारतीय सेना की 62 के युुद्ध के बाद से ही फिंगर​-​3 पर धनसिंह थापा पोस्ट पर रहती थी​​​ ​भारत के सैनिक चीन के स्थायी कैम्प यानी फिंगर-8 तक पेट्रोलिंग करते थे​​। पीएलए के ​साथ जब मौजूदा गतिरोध शुरू हुआ तो चीनी ​सैनिक मई​, 2020 के शुरुआती दिनों ​​से ही फिंगर-​8 से ​आगे बढ़कर ​फिंगर-​4​ तक ​आ गए थे​ ​इसे ऐसे समझना आसान होगा कि फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच आठ किमी. की दूरी है। इस तरह देखा जाए तो चीन ने ​पैन्गोंग झील के किनारे​ ​आठ किलोमीटर आगे बढ़कर फिंगर-4 पर ​कब्ज़ा कर रखा है​​। 
 
अब समझौते में तय हुआ है कि चीन की सेना फिंगर​-​8 से पीछे चली जाएगी और भारतीय सैनिक फिंगर​-​3 पर धनसिंह थापा पोस्ट पर चले जाएंगे​ इस तरह देखा जाए तो भले ही चीन को वापस ​फिंगर-8 पर धकेल दिया गया हो लेकिन भारत को फिंगर-8 तक अपने पेट्रोलिंग अधिकार को खोना पड़ा है, क्योंकि समझौते में फिंगर एरिया को बफर जोन में बदलने की बात तय हुई है​​​​ फिंगर​-​3 से लेकर फिंगर​-​8 तक नो-मैन लैंड ​होने पर अब दोनों देशों के सैनिक तब​ ​तक ​पे​ट्रोलिंग नहीं कर​ सकेंगे,​ जब​ ​तक कि दोनों देशों के सैन्य कमांडर और राजनयिक इस पर कोई फैसला नहीं कर लेते​​​​ ​अगर यह कहा जाये कि ​एलएसी​ प्रभावी रूप से 8 किमी​.​ दूर पश्चिम में स्थानांतरित हो ग​ई है​​ तो गलत न होगा​ ​इस फिंगर एरिया से पहले दोनों देशों के तैनात बड़े हथियार धीरे-धीरे पीछे​ हटाये जायेंगे​​, इसके बाद सैनिक पूरा एरिया खाली करेंगे​​​​​​​​​ ​
 
इसी तरह पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय सेना ने 29/30 अगस्त को कैलाश रेंज की मगर हिल, गुरंग हिल, रेजांग लॉ, रेचिन लॉ और मुखपारी की पहाड़ियों को अपने कब्जे में लेने के साथ ही 17 हजार फीट की ऊंचाइयों पर टैंकों को तैनात किया था। भारतीय सैनिकों ने ​इसी ​रात को फिंगर-4 पर भी ठीक चीनी सैनिकों के सामने अपना मोर्चा जमा लिया​ था​​ ​चीनी सेना तभी से इसलिए बौखलाई ​थी, क्योंकि यह सभी पहाड़ियां कैलाश पर्वत श्रृंखला में आती हैं। दोनों देशों ने ​यहां ​बड़ी ता​​दाद में टैंक, तोप, आर्मर्ड व्हीकल्स (इंफेंट्री कॉ़म्बेट व्हीकल्स), हैवी मशीनरी और मिसाइलों का जखीरा भी तैनात ​कर दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि दोनों देशों की सेनाएं महज कुछ मीटर की दूरी पर फायरिंग रेंज में आ गई थीं ​समझौते के मुताबिक ​​कैलाश हिल रेंज से सबसे पहले टैंक ​​पीछे हटेंगे​ और फ्रंट लाइन ​सैनिकों के पीछे हट​ने की प्रक्रिया बाद में होगी​​ ​

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