जीवन की कोई परिभाषा नहीं होती है, इसे गढ़ना पड़ता है -बीके पुनिया
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राकेश कुमार मोतिहारी, चम्पारण। मंगलवार को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग ने एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया जिसका विषय था ‘विरोधाभासी प्रबंधन और सकारात्मक सोच की शक्ति’। जिला स्कूल स्थित विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर के राजकुमार शुक्ल सभागार में हुए इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व […]
राकेश कुमार
मोतिहारी, चम्पारण। मंगलवार को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रबंधन विज्ञान विभाग ने एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया जिसका विषय था ‘विरोधाभासी प्रबंधन और सकारात्मक सोच की शक्ति’।
जिला स्कूल स्थित विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर के राजकुमार शुक्ल सभागार में हुए इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व कुलपति प्रो. बिजेंद्र कुमार पुनिया थे।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुआ। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने पौधा देकर एवं शॉल ओढ़ाकर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया। कुलपति ने संक्षिप्त स्वागत वक्तव्य द्वारा विषय प्रवर्तन किया उसके बाद मुख्य वक्ता ने विस्तार से विषय पर व्याख्यान दिया।
प्रो. बिजेंद्र कुमार पुनिया कहा कि हमें जीवन में किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करना है। प्रकृति ने हम सब को कुछ ना कुछ विशिष्ट कौशल प्रदान किए हैं। हमें उसी को प्रबंधन द्वारा अपने और समाज के हित के लिए उपयोग करना है। मुख्य वक्ता ने विभिन्न रोचक कथाओं के माध्यम से जीवन में आने वाली कठिनाइयों के निवारण एवं प्रबंधन के गुर सिखाए जिसमें स्वामी विवेकानंद जी से जुड़ी कथा उल्लेखनीय रही जिसका सार है “हमारे जीवन में असफलता का प्रमुख कारण भटकाव है।”
प्रबंधन विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पवनेश कुमार ने इस व्याख्यान का सार प्रस्तुत किया।
विभाग की सह प्रोफेसर सपना सुगंधा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन विभाग के शोधार्थी चंदन वीर ने किया। व्याख्यान का समापन राष्ट्रगान से हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।
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