नहीं रहे महेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ कवि जी, शोक की लहर
अशोक वर्मा
मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। जिले के जाने-माने कवि साहित्यकार महेश्वर प्रसाद सिंह जो नगर के एलएनडी कॉलेज कॉलेज के प्राध्यापक रहे हैं, अब हमारे बीच नहीं रहे वे बहुत दिनों से बीमार चल रहे थे और आज सुबह 6 बजे उन्होंने शरीर छोड़ी। महेश्वर प्रसाद सिंह साहित्य जगत के प्रदेश का जाना पहचाना नाम था चंपारण महोत्सव समिति के द्वारा प्रकाशित कई स्मारिका ओं का उन्होंने संपादन भी किया था तथा महोत्सव के आयोजन को गति एवं सफलता दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने जिले को बहुत कुछ दिया है और बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनकी मृत्यु को नगर के संस्कृति कर्मियों ने अपूरणीय क्षति बताया है कवि अशोक कुमार राकेश ने महेश्वर बाबू को वरिष्ठ कवियों के श्रेणी का अतिम कवि कहा। उन्होंने कहा कि कई मंचों पर हम लोग एक साथ काव्य पाठ किए हैं, आज मेरा परम मित्र नहीं रहा इसका मुझे बहुत ही दुख है ।मुंशी सिंह महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा कि महेश्वर जी ने साहित्य को बहुत कुछ दिया है ।कई मंचों पर उनके साथ आने का मुझे सौभाग्य मिला और उनसे बहुत कुछ सीखने और जानकारी लेने का भी मुझे मौका मिला है। वे बराबर हमें याद आते रहेंगे। चंपारण महोत्सव के
संस्थापक प्रसाद रत्नेश्वर ने कहा कि कवि जी की मृत्यु से मैं बहुत ही मरमाहत हू।वे मेरी शक्ति थे। और आज मैं अपने को उनके नहीं रहने से कमजोर महसूस कर रहा हूं ।चंपारण महोत्सव के लिए उन्होंने बहुत कुछ काम किया। कई पत्रिकाओं का उन्होंने संपादन किया वे मेरे साहित्यिक गुरु थे। वरिष्ठ पत्रकार अशोक वर्मा ने कहा कि महेश्वर बाबू नए रचनाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत थे और उनके नहीं रहने से यह एक कमी जिलेवासी महसूस करेंगे । निकट भविष्य में इसकी भरपाई होना फिलहाल असंभव दिखता है। कवि धनुषधारी प्रसाद कुशवाहा, अभय अनंत , मधुबाला सिन्हा ने कहा के महेश्वर बाबू का नही रहना हम लोगों को के लिए एक बहुत ही बड़ी क्षति है, मंच पर उनकी उपस्थिति ही किसी समारोह की सफलता के लिए काफी होता था आज उनकी कमी हमेशा खलेगी। कवि गुलरेज शहजाद, इंतजारूल हक ने महेश्वर बाबू को जिले के साहित्यिक जगत का वट वृक्ष कहा। कवि आफताब आलम, अजहर हुसैन अंसारी ने उनकी मृत्यु को जिले के लिए बहुत बड़ी क्षति कहा।
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