निजी स्कूल संचालकों ने किताब बेचने की स्वीकृति के लिए डीएम को लिखा पत्र
बेगूसराय। वैश्विक महामारी कोरोना ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर दिया है, हर कोई आर्थिक तंगहाली से जूझ रहा है। इसको लेकर शासन-प्रशासन ने निजी विद्यालयों को फीस लेने से रोक दिया है। लेकिन निजी विद्यालय संचालकों ने इसका विकल्प खोज लिया है। निजी विद्यालयों के प्रथम वर्ग के किताब का मूल्य दो हजार से अधिक होता है। जिसमें 40-50 प्रतिशत कमीशन विद्यालय संचालकों को दिए जाते हैं, ऊपर से गिफ्ट भी मिलता है। स्कूल बंद रहने से जब किताब का धंधा नहीं चल सका तो विद्यालय संचालकों ने डीएम को पत्र लिखा है। बेगूसराय पब्लिक स्कूल एसोसिएशन द्वारा डीएम को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि स्कूल परिसर में किताब वितरण की अनुमति दी जाए। विद्यालय संचालक एक ओर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव दे रहे हैं तो दूसरी ओर अब स्कूल में किताब वितरण की अनुमति मांगी गई है। लेकिन इस चिट्ठी ने एक और बड़ा खुलासा किया है। पत्र में एसोसिएशन ने कहा है कि निजी विद्यालय के हजारों बच्चे किताब के बिना लक्ष्यहीन अध्ययन कर रहे हैं। सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई करने को कहा तो विद्यालय संचालक उसे लक्ष्यहीन करार दे रहे हैं। दूसरी ओर इसी लक्ष्यहीन पढ़ाई के बदले फीस मांगा जा रहा है। अभिभावक प्रदीप कुमार, मुकेश विक्रम, जितेंद्र कुमार, रौशन सिंह आदि का कहना है कि विद्यालय संचालक बगैर पढ़ाई किए फीस मांग रहे हैं, सरकार के निर्देशों का अनुपालन करने के बदले निजी प्रकाशकों की महंगी किताब बेची जा रही है। 40 पेज के किताब का मूल्य चार सौ वसूला जा रहा है, यह कहां का न्याय है। सरकार और जिला प्रशासन किताब के नाम पर विद्यालय संचालकों द्वारा मचाया जा रहे लूट पर रोक लगाएं। अभिभावक मुकेश ने बताया कि विद्यालय संचालक किताब वितरण की अनुमति मांग रहे हैं, लगता है कि जैसे मुफ्त में वह किताब देंगे। किताब के नाम पर हम सबको प्रत्येक साल लूटा जा रहा है, नए-नए कंपनी के किताब लगाए जाते हैं। लॉकडाउन के कारण ऐसे ही आर्थिक स्थिति डवां-डोल है, अब कहां से खरीदें इतनी महंगी किताब। एनसीईआरटी का किताब चलता तो पांच सौ से कम में ही किसी भी क्लास का पूरा सेट आ जाता है, लेकिन यहां तो दो से पांच हजार तक का किताब बेचा जा रहा है।
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