नेपाल आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भारत का गुलाम

नेपाल आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भारत का गुलाम

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
सागर सूरज नेपाल इन दिनों सुर्ख़ियों में है। ऐसा नहीं की नेपाल विगत कुछ वर्षो में अपनी आत्म निर्भरता के क्षेत्र में या विज्ञानं के क्षेत्र में कोई बड़ा या छोटा कार्य कर लिया है या  फिर नेपाल में कुछ ऐसा बड़ा परिवर्तन हो गया जिससे इस हिमालयन देश की अहमियत अपने पडोशी मुल्कों की […]

सागर सूरज

नेपाल इन दिनों सुर्ख़ियों में है। ऐसा नहीं की नेपाल विगत कुछ वर्षो में अपनी आत्म निर्भरता के क्षेत्र में या विज्ञानं के क्षेत्र में कोई बड़ा या छोटा कार्य कर लिया है या  फिर नेपाल में कुछ ऐसा बड़ा परिवर्तन हो गया जिससे इस हिमालयन देश की अहमियत अपने पडोशी मुल्कों की नजर कुछ बढ़ गयी हो। हाल के दिनों में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के बडबोलेपन एवं छद्म राष्ट्रवाद से उपजे भारत के साथ जमीनी विवाद के कारण भारत-नेपाल के संबंध (indo-nepal relation) अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।

भारतीय मीडिया भी दोषी

भारत के कुछ मीडिया घरानों के साथ-साथ नेपाल की मीडिया ने तो दोनों देशों के सदियों पूर्व संबंधों में पलीता ही लगाने का कार्य किया। नेपाली प्रधानमंत्री ने तो हिन्दुओं के भगवान श्रीरामचन्द्र को ही नेपाली बता दिया साथ ही अयोध्या को नेपाल के बीरगंज के पास होने का दावा तक कर दिया। भारतीय मीडिया भी कहा कम था। नेपाली प्रधानमंत्री और चाइना के एक राजदूत को लेकर कई तरह के सनसनीखेज खुलासे करने शरू कर दिए। इन सब के बाद भी भारत के प्रधानमंत्री एवं अन्य सरकार के लोगों ने नेपाल के मामले में अपनी गंभीरता भंग नहीं होने दी।

इधर आंठ्वी पास ओली (KP OLI)भारत विरोध में इतने आगे बढ़ गये की एक तरफ खुद इतिहासविद बन हिन्दू आस्था पर अतिक्रमण करते हुए श्री राम के इतिहास पर ही सवालिया निशान लगा कर अपने ही देश के करोड़ों हिन्दुओं को हत्प्रब्द कर दिया, वही चिकित्सक बन बैश्विक महामारी करोना को भारत से आया वायरस बता उसका इलाज भी बता रहे है। नेपाली जनता भी ऐसे बेतुके बयानों का ना केवल समर्थन कर रही है बल्कि इसके बहाने पानी पी-पी कर भारत को बुरा भला कह रही है।

लेकिन आश्चर्य तो ये है कि उनके भारत विरोध के प्रदर्शन में भारतीय गाने बजते है। उनके घरों में भारतीय फिल्मों के हीरो-हेरोइन के पिक्चर लगे होते है। घर में जिस सोफे पर बैठते है वे भारत से आयातित होते है यही नहीं कृषि प्रधान देश होने के बाद भी नेपाल धान, गेहूं भी भारत से ही आयात करता है। विकास की हालत यह कि जिस खुकुरी पर वे आज भी दंभ भरते है उसका लोहा भारत से ही नेपाल जाता है। ये अलग बात है कि विश्व के सबसे कमजोर देश से भी नेपाल अगर युद्ध करे तो नेपाल उनके लड़कुं विमानों, मिसायलों के सामने अपना प्राचीन हथियार खुकुरी ही चमकायेगा। पहाड़ों, नदियों और नालों वाला देश नेपाल अब इतना दिग्भ्रमित हो गया है कि दिन-रात भारत अलग-अलग तरीके से भारत को उक्सा रहा है।  नेपाल सरकार के एक आंकडे पर अगर भरोसा करे तो नेपालियों ने गत वर्ष 2.65 अरब रुपये का बकरी का मांस खाया, भेड़ का मांस 1.75 करोड़ रुपये और भारत से आयातित 1.77 करोड़ रुपये का मटन भी खाया। अपने भोजन सामग्रियों के लिय नेपालियों ने करीब 27 अरब का तेल भारत से आयात किया ।

नेपाल भारत का आर्थिक एवं सांस्कृतिक दास

4.85 बिलियन रुपये का प्याज, 300 मिलियन रुपये का मेमना, 430 मिलियन रुपये का नींबू, 610 मिलियन का लहसुन, 80 करोड़ रुपये का अदरक, 167.6 मिलियन रुपये की हल्दी और 171.3 मिलियन की कीमत की ज़ुकीनी भारत से आयात करनी पड़ी। लगभग 22 बिलियन आयातित शराब को नेपालियों ने पिया। नेपालियों द्वारा 135.3 मिलियन रुपये के आयातित कंडोम का उपयोग किया गया। नेपाल में 1.5 बिलियन रुपये के मसाले और 110 मिलियन रुपये मूल्य के फूलों का भारत से आयात किया गया। अपने बच्चों के लिए 4.66 अरब रुपये के आयातित भोजन और दूध को भारत से आयात किया। त्यौहार के दौरान जौ, मसाले 1.46 अरब रुपये और 615.5 करोड़ रुपये के दीपक आयात किए जाते हैं। दाह संस्कार के लिए भारत से आयातित लगभग 1 अरब रुपये की अगरबत्ती का भी उपयोग नेपाली कर रहे हैं। इस तरह अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक नेपाली भारत पर निर्भर है।(NEPAL-INDIA CULTURAL RELATION)

नेपाल कहाँ है ?

 दशरथ पुत्र राम की पत्नी बैदेही सीता बिहार के पूर्वी चंपारण के सीतामढ़ी के पुनौरा गाँव के एक खेत से जन्मी थी। सीता का जन्म राजा जनक के तत्कालीन मिथिला क्षेत्र के पुनौरा गाँव में होने से जनक की पुत्री कहलाई। यानी सीता भी नेपाली नहीं थी। श्रीराम के जन्म के समय नेपाल नाम के किसी देश का अस्तित्व भी नहीं था। नेपाल भारत का आर्थिक एवं सांस्कृतिक दास है जो कभी गुलाम नहीं होने का दंभ भरता है। नेपाल एक ऐसा ह्युम पाइप की तरह है जिसमे आधा भारत तो आधा चाइना बैठा हुआ है फिर नेपाल कहाँ है ।  (QUESTION ON NEPAL HISTORY)

सच तो ये है कि नेपाल के शाह डायनेस्टी जहाँ भारत के राजस्थान से माइग्रेट कर पहाड़ों में गोरखा सामाज्य की स्थापना की वही नेपाल के सभी बड़े नेता चाहे पुष्प कमल दहाल प्रचंड हो या खुद के पी ओली की रूट भारत से जुड़े है। ऐसा हर एक नेपाली के साथ है फिर ऐसी नफरत का कारण क्या है। जाहिर है ओली ने अपने गिरते जनाधार पर छद्म राष्ट्रवाद का मरहम लगाने का प्रयास किया है। विकास की बातों से दूर विदेशी रुपयों के बल नेपाल की नैया वर्षो से चल रही है।  भारत और चाइना दोनों के भरोसे टिका नेपाल का सारा इंफ्रास्ट्रक्चर कब भर-भरा कर गिर जाये कहा नहीं जा सकता।

Related Posts

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Recent News

Epaper

मौसम

NEW DELHI WEATHER