नई दिल्ली। कोरोना महामारी की समस्या से निपटने के लिए बनाए गए पीएम केयर्स फंड (प्राइम मिनिस्टर सिटीज़न असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड) की ऑडिट रिपोर्ट सरकार ने जारी की है। इसमें बताया गया है कि पहले पांच दिन (यानि 27 से 31 मार्च के बीच) फंड को 3,076 करोड़ रुपये मिल गए थे। वित्त वर्ष 2020 के स्टेटमेंट के अनुसार 3,076 करोड़ रुपये में से 3,075.85 करोड़ रुपये का दान घरेलू और स्वैच्छिक है, जबकि 39.67 लाख रुपये का योगदान विदेशों से किया गया है। पीएम केयर्स के स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि 2.25 लाख रुपये से शुरू किए गए फंड को करीब 35 लाख रुपये ब्याज के तौर पर भी मिले हैं। इस रिपोर्ट में बस दानदाताओं की जानकारी नहीं सार्वजनिक की गई है, जिसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं।
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने दानदाताओं की जानकारी छुपाने को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा है कि जब इन राशियों को सार्वजनिक कर दिया गया तो फिर दाताओं के नाम छुपाने का क्या मतलब है। चिदंबरम में ट्वीट कर पूछा, ‘दान पाने वाला ज्ञात है। दान पाने वाले के ट्रस्टी ज्ञात हैं तो ट्रस्टी दानदाताओं के नाम उजागर करने के क्यों डर रहे हैं? एक अन्य ट्वीट में उन्होंने सवाल किया कि ‘इन दयालु दानदाताओं के नाम प्रकट नहीं किये जाएंगे। क्यों? प्रत्येक अन्य एनजीओ या ट्रस्ट एक सीमा से अधिक राशि दान करने वाले दानकर्ताओं के नाम प्रकट करने के लिए बाध्य हैं। तो फिर इस दायित्व से पीएम केयर्स फंड को छूट क्यों है?
उल्लेखनीय है कि पीएम केयर्स फंड को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाते रहे हैं। कांग्रेस नेता चिदंबरम ने तो भाजपा सरकार पर इस फंड को जांच से बचाने का भी आरोप लगाया था। विपक्ष द्वारा यह कहा गया था कि जब आपदा आदि संकट की घड़ी में लोगों की मदद के लिए ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ है तो फिर पीएम केयर्स फंड खोलने की क्या जरूरत थी।
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