पैकेजिंग में प्लास्टिक के अधिक इस्तेमाल पर एनवायरमेंट ऑडिट कर रिपोर्ट तलब

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नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत दस ई-कॉमर्स कंपनियों के निर्माताओं की ओर से सामानों की पैकेजिंग में काफी मात्रा में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर एनवायरमेंट ऑडिट कर रिपोर्ट तलब किया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को […]
नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत दस ई-कॉमर्स कंपनियों के निर्माताओं की ओर से सामानों की पैकेजिंग में काफी मात्रा में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर एनवायरमेंट ऑडिट कर रिपोर्ट तलब किया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को 14 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने जिन कंपनियों द्वारा सामानों की पैकेजिंग में काफी मात्रा में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर तलब किया है उनमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, कोका-कोला इंडिया, हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेस, पेप्सिको इंडिया, बिस्लेरी इंटरनेशनल, पार्ले एग्रो, पतंजलि पेया, नौरिश को बेवरेजेस लिमिटेड (हिमालयन वाटर) और इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म (आईआरसीटीसी) शामिल हैं। एनजीटी ने ये आदेश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उस रिपोर्ट पर नाराजगी जताने के बाद किया, जिसमें कचरे का काफी उत्पादन करने वाली कंपनियों के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं किया गया है।
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन कंपनियों का एनवायरमेंटल ऑडिट करने का आदेश दिया। एनजीटी ने कहा कि उसने इसके पहले भी एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर्स रिस्पांसिबिलिटी को लागू करने का आदेश दिया था। एनजीटी ने 2019 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया था कि वो ई-वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स को लागू करने के लिए एक्शन प्लान सौंपे।
याचिका एक नाबालिग आदित्य दुबे ने दायर की है। आदित्य दुबे की ओर से अनु दुबे ने याचिका में कहा है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कई कंपनियां अपने उत्पादों की पैकेजिंग में प्लास्टिक का काफी ज्यादा इस्तेमाल करती हैं। ये कंपनिया अपने उत्पादों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक की कोई जिम्मेदारी नहीं लेती। इन प्लास्टिक कचरों से भूमिगत जल प्रदूषित होता है और भूमि की गुणवत्ता का भी क्षरण होता है। 

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