बिहार की ओर तेजी से बढ़ रहा है टिड्डी दल, सूर्योदय के समय खेत पर करते हैं हमला
Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
बेगूसराय। पाकिस्तान से आए टिड्डी दल ने देश के चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाद बिहार की तरफ रुख किया है। इसकी जानकारी मिलने के बाद किसानों में जहां हड़कंप मच गया है। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारी और वैज्ञानिक इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने में लग गए […]
बेगूसराय। पाकिस्तान से आए टिड्डी दल ने देश के चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाद बिहार की तरफ रुख किया है। इसकी जानकारी मिलने के बाद किसानों में जहां हड़कंप मच गया है। वहीं, कृषि विभाग के अधिकारी और वैज्ञानिक इससे बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने में लग गए हैं। इस संबंध में बेगूसराय के खोदावंदपुर में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। पहली बार टिड्डी दलों के उत्तर बिहार में प्रवेश करने की आशंका है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में टिड्डी दल दो समूह में बंट गया है तथा एक समूह यूपी के दर्जनभर जिलों में फैल कर फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। यह दल तेजी से बिहार की ओर बढ़ रहा है। राजस्थान के बाद यूपी में फसलों की बर्बादी से उत्तर बिहार में आम, लीची, मक्का और सब्जी उत्पादक किसानों की बेचैनी बढ़ गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र बेगूसराय की वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. सुनीता कुशवाहा ने गुरुवार को बताया कि अब तक टिड्डी दल का असर बिहार में नहीं हुआ है। अब आशंका है कि टिड्डी दल बिहार में प्रवेश कर सकता है। यदि टिड्डी दल पेड़, पौधे, मक्का बीज व अन्य किसी भी फसल पर बैठती है, तो उसको खा जाती है। उससे पौधे एवं फसल सूखने लगती है। यह नमी वाले इलाके में तेजी से प्रवेश करता है। टिड्डी दल झुंड में चलते हैं और मीटिंग के दो दिन बाद अंडे देते हैं, केवल पीले टिड्डी अंडे देते हैं, गुलाबी नहीं। यह जमीन में घुसकर के अंदर छह इंच गहराई पर अंडे देती है, उस जगह सुराख हो जाता है और सुराख के मुंह पर सफेद पाउडर सा दिखता है, इससे इसकी पहचान की जा सकती है। अंडे देते समय यह तीन-चार दिन एक जगह रुकते हैं। अगर उत्तर बिहार में यह प्रवेश करता है तो मक्का और सब्जी को भारी नुकसान होगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम के बदले मिजाज से भारत में टिड्डी का आक्रमण हुआ है।
उन्होंने बताया कि इस साल अब तक अच्छी बारिश हुई है, इससे उत्तर बिहार में अभी नमी बनी हुई है। जब टिड्डी जमीन में अंडे देता है उस समय खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर चलाकर अंडों को नष्ट किया जा सकता है। अंडे से 12 दिन बाद टिड्डी निकलते हैं, लेकिन 30 दिन में यह वयस्क हो जाते हैं। दिनभर उड़ते हैं और शाम होते ही पेड़ पौधों पर बैठ जाते हैं, रात भर बैठे रहते हैं फिर सुबह सूरज उगने के साथ ही उठते हैं और जहां जाते पूरी फल खा जाते हैं। उन्होंने बताया कि टिड्डी झुंड बनाकर हजारों की संख्या में आगे बढ़ते हैं यह रात में जब आराम करते हैं तब क्लोरपीरिफॉस कीटनाशक का छिड़काव करने को रोका जा सकता है। पारंपरिक तरीके से थाली, ड्रम, ढ़ोल बजाकर तरह-तरह की आवाज करके भी भगाया जा सकता है। इसके लिए सबसे बड़ी जरूरत है कि किसान सजग रहें, सतर्क रहें। क्योंकि टिड्डी के करीब दस हजार प्रजातियों में यह रेगिस्तानी प्रजाति सबसे खतरनाक है।
Tags:
Related Posts
Post Comment
राशिफल
Live Cricket
Recent News
बिगनी मलाहीन: लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आँशु बहा रहा है,,,,,
21 Mar 2024 19:59:59
अपराध वही, भ्रष्टाचार वही, एक भी उद्योग नहीं, एक चीनी मिल था वो भी बंद हो गया | हा- अपहरण...
Comments