भारत और ईरान के सदियों पुराने संबंधों पर जोर

भारत और ईरान के सदियों पुराने संबंधों पर जोर

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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नई दिल्ली। मॉस्को से सीधे शनिवार रात तेहरान पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों मंत्रियों के बीच बैठक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई। दोनों नेताओं ने भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत संबंधों पर जोर दिया। दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय […]
नई दिल्ली। मॉस्को से सीधे शनिवार रात तेहरान पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों मंत्रियों के बीच बैठक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई। दोनों नेताओं ने भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत संबंधों पर जोर दिया। दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की और अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। 
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के बाद उनकी बहुचर्चित बैठक चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही के साथ हुई, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में एलएसी पर चल रहे तनाव को लेकर खरी-खरी सुनाई। मॉस्को से भारत के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने शनिवार को एससीओ सदस्य होने के नाते बैठक में शामिल होने मॉस्को आये तजाकिस्तान के रक्षा मंत्री कर्नल जनरल शेरली मिर्ज़ो, कजाकिस्तान के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल नुरलान यर्मेकबायेव और उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री मेजर जनरल कुर्बानोव बखोदिर निज़ामोविच से अलग-अलग मुलाकात की। इस बीच उन्हें एक सन्देश भेजकर ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी ने द्विपक्षीय बैठक करने का अनुरोध किया। 
ईरान एससीओ समूह का पर्यवेक्षक देश है। ईरान की चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की देन है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों को सीधे जोड़ती है। अपने विस्तृत पड़ोस के हिस्से के रूप में वहां चल रही कनेक्टिविटी परियोजनाओं के मद्देनजर ईरान की यात्रा को महत्वपूर्ण मानते हुए राजनाथ सिंह ने मॉस्को से नई दिल्ली आने की बजाय वहीं से सीधे तेहरान के लिए उड़ान भर ली। शनिवार रात तेहरान पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ब्रिगेडियर हातमी से मुलाकात की। सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में दोनों नेताओं ने एक घंटे 20 मिनट तक द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत संबंधों पर जोर दिया गया। दोनों रक्षा मंत्रियों ने द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की और अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद ट्वीट करके बताया कि तेहरान में ईरानी रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी के साथ एक बहुत फलदायी बैठक हुई। हमने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों और द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की। भारतीय रक्षा मंत्री के कार्यालय ने एक बयान में बताया है कि इस बैठक को ‘भारत और ईरान के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत संबंधों’ पर जोर देने के साथ ‘सौहार्द्रपूर्ण’ के रूप में वर्णित किया गया है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जिसमें अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता बहाल करने का मुद्दा भी शामिल था। 
ईरान यात्रा के कूटनीतिक मायने 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को से सीधे ईरान की यात्रा के कई कूटनीतिक मायने हैं।​ ​ब्रिगेडियर हातमी के एक सन्देश पर उनके साथ द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर बैठक करके पाकिस्तान और चीन पर एक साथ निशाना साधने की कोशिश माना जा रहा है। दो फ्रंट पर युद्ध की तैयारी कर रहे चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ईरान को साधना जरूरी है। व्यापारिक संबंधों के लिहाज से भी तेहरान और भारत अधिमान्य व्यापार समझौते में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के जवाब में भारत ईरान के चाबहार पोर्ट को विकसित कर रहा है।​ 
 
अब भारत की नजर इस बंदरगाह के जरिए रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान और उजेबकिस्तान से अपने व्यापार को बढ़ाना है। ईरान और पाकिस्तान की सीमाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। इस स्थिति में भारत ईरान को साधकर पाकिस्तान को बड़ा झटका भी दे सकता है। चीन ने कुछ दिनों पहले ही ईरान के साथ अरबों डॉलर का सौदा किया था। इसमें न केवल रक्षा​​ बल्कि व्यापार क्षेत्र के भी कई बड़े समझौते हुए थे। ऐसे में अगर भारत चीन के खिलाफ ईरान को मना लेता है तो यह बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जाएगी। 

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