लद्दाख में बर्फबारी, चीनी सैनिक पहाड़ियां छोड़ भागे

लद्दाख में बर्फबारी, चीनी सैनिक पहाड़ियां छोड़ भागे

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नई दिल्ली। सैन्य वार्ताओं में बनी सहमतियों के बावजूद एलएसी पर गतिरोध कम होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं लेकिन लद्दाख में भी हुई पहली बर्फबारी ने सैनिकों पर अपना असर डालना शुरू कर दिया है। खासकर पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे फिंगर एरिया की 16 हजार फीट की ऊंचाइयों पर तैनात चीनी सैनिक ठंड का शिकार होने […]
नई दिल्ली। सैन्य वार्ताओं में बनी सहमतियों के बावजूद एलएसी पर गतिरोध कम होने के संकेत नहीं दिख रहे हैं लेकिन लद्दाख में भी हुई पहली बर्फबारी ने सैनिकों पर अपना असर डालना शुरू कर दिया है। खासकर पैन्गोंग झील के उत्तरी किनारे फिंगर एरिया की 16 हजार फीट की ऊंचाइयों पर तैनात चीनी सैनिक ठंड का शिकार होने लगे हैं। शून्य से 4 डिग्री नीचे तापमान पहुंचने पर ऊंची पहाड़ियों को छोड़ चीन के अधिकांश सैनिक बीमार होकर फिंगर-6 के पास चीन के फील्ड अस्पताल पहुंच गए हैं। चीनी सेना की यह हालत भारतीय पोजीशन से महज एक किलोमीटर से कम की दूरी पर हो रही है।  
भारत और चीन के बीच हुई पिछली दो सैन्य वार्ताओं में एक-दूसरे को सौंपे गए ‘टॉप सीक्रेट रोडमैप’ पर दोनों देश गतिरोध खत्म करने के करीब पहुंचे हैं। आठवें दौर की वार्ता में चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा से 30 किमी. पीछे जाने को सहमत हुआ है, जिसका भौतिक सत्यापन करने के बाद भारत भी 15 किमी. पीछे जाने को तैयार है। इसके अलावा फिंगर एरिया को भी खाली करने पर सहमति बनी है। सैन्य कमांडर स्तरीय वार्ता में बनी इन सहमतियों पर दोनों देशों का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व मंथन करके ‘फाइनल रोडमैप’ तैयार कर रहा है, जिसके आधार पर अगली वार्ता में दोनों देशों के बीच कार्ययोजना तैयार होनी है। 9वें दौर की वार्ता होने से पहले ही पिछले दो दिन से लद्दाख में हो रही बर्फबारी ने चीनी सैनिकों पर अपना असर डालना शुरू कर दिया है। अग्रिम चौकियों पर तैनात भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे की सेना पर लगातार नजर रखकर ठंड का असर देख रहे हैं।
लद्दाख के सब-सेक्टर नॉर्थ के डेप्सांग और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों में दो दिनों से भारी बर्फबारी हो रही है। भारतीय सैनिकों के लिए पहले ही डेप्सांग क्षेत्र में भारतीय सेना के फील्ड अस्पताल खुल गए हैं। भारतीय सैनिकों को भीषण ठंड की खतरनाक स्थितियों से बचाने के लिए उच्च स्तरीय इलाज की व्यवस्था की गई है।हालांकि भारतीय सैनिकों को सियाचिन में करीब 22 हजार फीट और माउंट एवरेस्ट पर 29 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनाती का अनुभव है। इसीलिए भारतीय सेना के सैनिक उच्च ऊंचाई की लड़ाइयों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना के लिए लद्दाख की खून जमा देने वाली 16 हजार फीट ऊंची बर्फीली पहाड़ियां कोई मायने नहीं रखतीं। भारत ने ठंड के दिनोंं में भी चीनियों से मोर्चा संभालने के इरादे से पहले ही खुद को तैयार कर लिया है।
अब फिंगर एरिया में शून्य से 4 डिग्री नीचे तापमान पहुंचने पर पैन्गोंग झील के किनारे जमने लगे हैं। बर्फबारी के बाद से तेज हवा और अत्यधिक ठंड ने फिंगर एरिया के हालात खराब करने शुरू कर दिए हैं। उत्तरी किनारे के फिंगर एरिया के उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर 6 माह से जमे बैठे चीनी सैनिक अभी तक हटने को तैयार नहीं थे लेकिन तापमान गिरते ही उनकी हालत खराब होने लगी है। मौसम में तेजी से बदलाव आने की वजह से चीनी सैनिक ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होने लगे हैं। फिंगर एरिया में ठंड का शिकार हुए चीनी सैनिकों की जगह नए सैनिकों को लाया जा रहा है लेकिन उनकी भी हालत एक ही दिन में ख़राब हो रही है। फिंगर-4 क्षेत्र से निकाले गए चीनी सैनिकों को अंतरिम उपचार के लिए ले जाया जा रहा है। चीनी सैनिक शीतदंश, चिलब्लेन्स और खतरनाक उच्च ऊंचाई वाले फुफ्फुसीय एडिमा (एचएपीओ) से ग्रस्त हो रहे हैं।अपने पेशेवर अंदाज और मानवीय संवेदना के लिए पहचानी जाने वाली भारतीय सेना ही बेहोश हो रहे चीनी सैनिकों को स्ट्रेचर के जरिए उनके फिंगर-6 के पास स्थित फील्ड अस्पताल में पहुंचा रही है।  

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