विपक्षी सांसदों ने सभापति को लिखा पत्र, कहा- विपक्ष की गैरमौजूदगी में पास न करें श्रम कानून बिल

विपक्षी सांसदों ने सभापति को लिखा पत्र, कहा- विपक्ष की गैरमौजूदगी में पास न करें श्रम कानून बिल

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नई दिल्ली। कोरोना काल में चल रहे संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही चल रही है। हालांकि विपक्षी दलों ने आज भी सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया है। राज्यसभा में आज तीन श्रम कानूनों को पेश किया जाना है, जिसे सोमवार को लोकसभा में पास कराया गया है। ऐसे में विपक्ष की […]

नई दिल्ली। कोरोना काल में चल रहे संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही चल रही है। हालांकि विपक्षी दलों ने आज भी सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया है। राज्यसभा में आज तीन श्रम कानूनों को पेश किया जाना है, जिसे सोमवार को लोकसभा में पास कराया गया है। ऐसे में विपक्ष की ओर से राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर कहा गया है कि विपक्षी पार्टी के सांसदों की अनुपस्थिति में सदन श्रम संबंधी इन तीन विधेयकों को पारित न करें।

दरअसल, विपक्षी दलों के सदस्य आठ सांसदों के निलंबन तथा पारित कृषि विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में आज भी उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया लेकिन सदन में पेश होने वाले विधेयकों की सूची के तहत आज तीन श्रम विधेयक पेश होने है, जिसे विपक्ष आज के लिए टालना चाहता है। इसी मंशा से विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर कहा है कि वे विपक्षी पार्टी के सांसदों की अनुपस्थिति में राज्यसभा में तीन श्रम संबंधी विधेयकों को पारित न करें।

कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दल मजदूरों और कामगारों से जुड़े इस बिल का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि ये श्रम कानून मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए हैं। विपक्ष ने कहा कि पहले आर्थिक सुस्ती और फिर लॉकडाउन के बाद देश में श्रमिकों की हालत पहले से ही खराब है, ये श्रम कानून इन्हें और भी कमजोर बनाएंगे।

हालांकि श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम संहिता से जुड़े तीन विधेयकों को राज्यसभा में पेश कर दिया है। मजदूरों और कामगारों से जुड़े तीन बिल उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 बीते दिन मंगलवार को लोकसभा से पारित हुए थे।

संतोष गंगवार ने विधेयकों को पेश करते हुए कहा कि सरकार ने श्रम एवं रोजगार संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 233 सिफारिशों में से 174 को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने व्यापक अध्ययन और परामर्श के बाद ही इन विधेयकों को तैयार किया है। इनका मसौदा तैयार करते वक्त नौ त्रिपक्षीय बैठकें आयोजित की गई थीं। उन्होंने यह भी कहा कि 44 श्रम कानूनों में से 17 को पहले ही निरस्त कर दिया गया है। स्टैंडिंग कमेटी द्वारा की गई 233 सिफारिश के बाद यह बिल पेश किया गया है। इन बिलों में 74 प्रतिशत सिफारिश शामिल की गई है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन की कार्यवाही के दौरान व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम की स्थिति संहिता, औद्योगिक संबंध कोड और सामाजिक सुरक्षा बिल पर कोड पर कहा कि आजादी के बाद 73 वर्ष में मजदूरों को वह अधिकार मिल रहा है, जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे। बिल की गारंटी मजदूरी, सामाजिक और स्वास्थ्य सुरक्षा है।

सदन में पेश श्रम कानून विधेयक पर रामदास अठावले ने कविता पाठ किया। उन्होंने कहा, ‘मोदी जी ने लिया है अपने ऊपर सब मजदूरों का भार, इसलिए उनको देश के मजदूर करते हैं प्यार। संतोष गंगवार हैं आदमी सोबर, इसलिए उन्हें मिला है डिपार्टमेंट लेबर। लेबर को न्याय देने की गंगवार जी में है हिम्मत, इसीलिए हम सब उनको देते हैं हिम्मत।’

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में आए तीन श्रम कानून विधेयकों का टीडीपी, जेडीयू, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने पहले ही समर्थन कर दिया है।

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