विरोध के बावजूद ‘कृषि विधेयक’ ध्वनिमत से पारित, विपक्ष ने कहा- लोकतंत्र की हुई हत्या

विरोध के बावजूद ‘कृषि विधेयक’ ध्वनिमत से पारित, विपक्ष ने कहा- लोकतंत्र की हुई हत्या

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नई दिल्ली। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद दो कृषि विधेयक ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित हो गया। हालांकि विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने रविवार को संसद के उच्च सदन में इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान अपना विरोध जताते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी। विपक्ष को दरकिनार करने को लेकर […]

नई दिल्ली। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद दो कृषि विधेयक ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित हो गया। हालांकि विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने रविवार को संसद के उच्च सदन में इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान अपना विरोध जताते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की थी। विपक्ष को दरकिनार करने को लेकर कुछ सांसदों ने इसे बहुमत का जोर करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बहुमत है तो वो विपक्ष, आम जनता और किसान-मजदूर किसी की परवाह नहीं कर रही। यह लोकतंत्र की हत्या है। विपक्षी सांसद अब भी सदन में बैठे हुए हैं।

सदन में कृषि विधेयक के पारित होने के बाद एक वीडियो संदेश सोशल मीडिया पर जारी करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि आज जो हुआ वह लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष के विरोध को साइडलाइन करने के साथ आम लोगों तक हमारा विरोध न पहुंचे इसलिए राज्यसभा टीवी की फीड तक काट दी गई। आखिर किस प्रकार के लोकतंत्र में हम रह रहे हैं।

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पहले सरकार तब अध्यादेश लेकर आती है जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है। फिर किसान विरोधी कानून को लागू करने के लिए न तो सदन में कोई मत विभाजन होता है और नहीं चर्चा को वरीयता दी जाती है। आनन-फानन में बहुमत के जोर पर इस लागू भी करा दिया जाता है। आज का दिन लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है। उन्होंने कहा कि इइ काले कानून और सदन के नियमों के उल्लंघन के विरोध में हम विपक्षी दल अब भी राज्यसभा में बैठे हुए हैं। सरकार याद रखे की किसानों को नष्ट करने का प्रयास करने वालों को इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।

सरकार को घेरते हुए कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने कहा कि आज जो हुआ वह राज्यसभा में अभूतपूर्व स्थिति है। एक दिन में कृषि बिलों को पारित कराने के लिए बिना आम सहमति के दोपहर एक बजे (निर्धारित समय) के बाद भी सदन की कार्यवाही को जारी रखा जाता है। यही नहीं बिल पर अपना पक्ष रखने के लिए विभाजन की अनुमति तक नहीं दी जाती। वहीं लोकसभा के सदस्यों को राज्यसभा की सभी कार्यवाही से काट दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक मूल्यों पर बड़ा हमला है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राज्यसभा से पारित कृषि विधेयकों को ‘काला कानून’ बताया है। उन्होंने कहा कि ‘बाहुबली’ मोदी सरकार ने जबरन किसान बिल को पास कराया है। इससे ज्यादा काला दिन कुछ हो नहीं सकता। देश का किसान मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा।

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