संघ के इतिहास में 3 बार खंडित हुई विजयादशमी उत्सव की परंपरा

संघ के इतिहास में 3 बार खंडित हुई विजयादशमी उत्सव की परंपरा

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नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को इस विजयादशमी को 95 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। संघ प्रतिवर्ष विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन कर अपना स्थापना दिवस मनाता है, लेकिन संघ की स्थापना से लेकर अब तक अनवरत जारी रही विजयादशमी उत्सव की परंपरा वर्ष 1948, 1975 और 1976 में खंडित हुई थी। प्रतिबंध के […]

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को इस विजयादशमी को 95 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। संघ प्रतिवर्ष विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजन कर अपना स्थापना दिवस मनाता है, लेकिन संघ की स्थापना से लेकर अब तक अनवरत जारी रही विजयादशमी उत्सव की परंपरा वर्ष 1948, 1975 और 1976 में खंडित हुई थी। प्रतिबंध के चलते संघ इन वर्षों में विजयादशमी उत्सव नहीं मना पाया था। 

आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 27 सितम्बर 1925 को विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी थी। संघ में वर्ष प्रतिपदा, हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन, विजयादशमी और मकर संक्रांति उत्सव प्रमुख रूप से मनाए जाते हैं। इन उत्सवों में विजयादशमी का विशेष महत्व है। विजयादशमी पर संघ में शक्ति की उपासना के प्रतीक के तौर पर शस्त्रपूजन किया जाता है। इस दिन संघ अपना स्थापना दिन भी मनाता है। 
नागपुर महानगर की ओर से आयोजित विजयादशमी उत्सव में सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं। सरसंघचालक के उद्बोधन में आगामी वर्ष के लिए दिशा-दर्शन, भूमिका, आगामी कार्यक्रम तथा अन्य आवश्यक बातों का समावेश होता है। विजयादशमी उत्सव के आयोजन में गणमान्य व्यक्ति प्रमुख अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया जाता है। आम तौर पर, देश और समाज में विशिष्ट योगदान देनेवाले गैर-राजनीतिक महानुभाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजयादशमी उत्सव पर प्रमुख अतिथि होते हैं।समाज के विविध क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति संघ द्वारा आयोजित विजयादशमी उत्सव में उपस्थित होते हैं, लेकिन संघ की स्थापना से लेकर वर्तमान तक 3 बार विजयादशमी पर्व पर उत्सव का आयोजन नहीं हो पाया। वर्ष 1948 में संघ पर प्रतिबंध के कारण तथा वर्ष 1975 एवं 1976 में आपातकाल के चलते विजयादशमी उत्सव का आयोजन नही हुआ था।
विगत कुछ वर्षों में प्रमुख अतिथि के तौर पर ले.ज. केके नंदा (वर्ष 2001),  प्रो. सैमडोंग रिंपोछे (वर्ष 2002), ले.ज. बीटी पंडित (वर्ष 2006), प्रो. जगमोहनसिंग राजपूत (वर्ष 2007), ज्ञानी किरतसिंह (वर्ष 2008), डॉ. वी.
के सारस्वत (वर्ष 2015), सत्यप्रकाश रॉय (वर्ष 2016), कैलाश सत्यार्थी (वर्ष 2018), शिव नाडार (वर्ष 2019) आदी महानुभावों ने संं के घविजयादशमी उत्सव में सहभाग किया। 
इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते चुनिंदा लोगों की उपस्थिति में संघ अपना विजयादशमी उत्सव मनाएगा। इसका सीधा प्रसारण दूरदर्शन और अन्य माध्यमों से किया जाएगा। 

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