सीबीआई ने दो साल बाद शुरू की रक्षा मंत्रालय में भर्ती घोटाले की प्रारंभिक जांंच

सीबीआई ने दो साल बाद शुरू की रक्षा मंत्रालय में भर्ती घोटाले की प्रारंभिक जांंच

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नई दिल्ली। सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय के कानपुर स्थित रक्षा गुणवत्ता विभाग में चार साल पहले क्लर्कों की नियुक्तियों में हुई धांधली की प्रारंभिक जांच अब शुरू की है। हालांकि रक्षा मंत्रालय अपनी तरफ से जांच पूरी करके भर्ती हुए 6 क्लर्कों को बर्खास्त भी कर चुका है। मंत्रालय ने सीबीआई जांच की सिफारिश दो […]
नई दिल्ली। सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय के कानपुर स्थित रक्षा गुणवत्ता विभाग में चार साल पहले क्लर्कों की नियुक्तियों में हुई धांधली की प्रारंभिक जांच अब शुरू की है। हालांकि रक्षा मंत्रालय अपनी तरफ से जांच पूरी करके भर्ती हुए 6 क्लर्कों को बर्खास्त भी कर चुका है। मंत्रालय ने सीबीआई जांच की सिफारिश दो साल पहले की थी। 
रक्षा मंत्रालय के अधीन क्वालिटी एश्योरेंस महानिदेशालय (डीजीक्यूए), रक्षा उत्पादन विभाग ने 3 मार्च, 2015 को लोवर डिवीजन क्लर्क के 6 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसमें 5 पद सामान्य और एक पद विकलांग के लिए आरक्षित था। भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए तत्कालीन नियंत्रक सी देवकीनंदन ने एक बोर्ड का गठन किया, जिसका पीठासीन अधिकारी उप नियंत्रक/प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार तिवारी को बनाया गया। भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही धांधली की शिकायतें विभाग की आधिकारिक ई-मेल पर आने लगीं। शिकायतों में आशंका जताई गई कि विभाग में ही कार्यरत कुछ अधिकारियों के चहेतों का चयन पहले ही किया जा चुका है और भर्ती प्रक्रिया के बहाने सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
चयनित उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित होने के बाद शिकायतें सही निकलीं, क्योंकि जिन लोगों के नाम पहले से ही चर्चा में थे, उन्हीं का चयन किया गया था। इनमें डीजीक्यूए के स्टोर कॉम्प्लेक्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी पीपी द्विवेदी की बहू प्रतिभा द्विवेदी, विभाग से ही सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक एचएन तिवारी के रिश्तेदार रविकांत पांडेय, डीजीक्यूए अर्मापुर से सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक सुनील कुमार श्रीवास्तव के पुत्र उत्कर्ष श्रीवास्तव हैं। इस तरह 6 चयनितों में से 3 रक्षा उत्पादन विभाग से रिटायर्ड अधिकारियों के पुत्र, बहू और रिश्तेदार थे। इन सभी 6 लोगों को ज्वाइन भी करा दिया गया। इस बीच जिनका चयन नहींं हो पाया, उन लोगों ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए भर्ती बोर्ड के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाकर जांच की मांग की। 
इस पर रक्षा गुणवत्ता विभाग के महानिदेशक ने आंतरिक विजिलेंस से जांंच कराई। चयन प्रक्रिया में अनियमितता पाए जाने पर भर्ती बोर्ड को निरस्त करके नौकरी कर रहे सभी 6 अभ्यर्थियों को बर्खास्त कर दिया गया। नौकरी से निकाले लोगों ने कैट, इलाहाबाद में याचिका लगाई कि विभाग ने उन्हें बिना सुने ही नौकरी से टर्मिनेट कर दिया। इस पर कैट ने अभ्यर्थियों को अंतरिम स्टे दे दिया। इस धांंधली की गाज भर्ती बोर्ड के सदस्यों और चेयरमैन पर भी गिरी, क्योंकि अगस्त 2018 में रक्षा गुणवत्ता विभाग के अवर निदेशक (सतर्कता) ने अतिरिक्त महानिदेशक, गुणवत्ता आश्वासन को एक गोपनीय पत्र लिखकर इन सभी को किसी भी संवेदनशील पद की जिम्मेदारी देने से मना किया था। 
इसके बाद रक्षा गुणवत्ता विभाग के तत्कालीन अवर निदेशक (सतर्कता) चनन राम सैनी ने 10 अगस्त, 2018 को सीबीआई को एक पत्र लिखा। उन्होंने जानकारी दी कि रक्षा मंत्रालय डीजीक्यूए के विजिलेंस सेल को वर्ष 2016 में कानपुर में हुई 6 एलडीसी (लोवर डिवीज़न क्लर्क) की भर्ती में गंभीर अनियमितता मिलीं हैंं, जिसकी सीबीआई से जांच होना जरूरी है। बाद में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री ने भी भर्ती मामले की जांंच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। 
रक्षा मंत्रालय की सिफारिश के दो साल बाद भी सीबीआई ने इस भर्ती घोटाले की फाइल दबाए रखी। काफी दबाव पड़ने पर अब सीबीआई ने 2 जुलाई, 2020 को प्राथमिक जांच करने के लिए मामला (पीई) दर्ज किया है। प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर सीबीआई इस मामले की एफआईआर दर्ज करेगी। 

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