सीबीआई 7 साल बाद भी नहीं खोज पाई डॉ दाभोलकर हत्याकांड का मास्टरमाइंड

सीबीआई 7 साल बाद भी नहीं खोज पाई डॉ दाभोलकर हत्याकांड का मास्टरमाइंड

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
नई दिल्ली। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुए आज सात साल पूरे हो गए लेकिन सीबीआई इस मामले के मास्टरमाइंड को पकड़ नहीं पाई है। गुरुवार को सीबीआई की इस भूमिका पर दाभोलकर के बेटे डॉ. हमीद दाभोलकर ने दु:ख प्रकट करते हुए ट्वीट किया है कि पिछले […]
नई दिल्ली। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक कार्याध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या हुए आज सात साल पूरे हो गए लेकिन सीबीआई इस मामले के मास्टरमाइंड को पकड़ नहीं पाई है। गुरुवार को सीबीआई की इस भूमिका पर दाभोलकर के बेटे डॉ. हमीद दाभोलकर ने दु:ख प्रकट करते हुए ट्वीट किया है कि पिछले छह साल से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन हत्या के पीछे का मुख्य मास्टरमाइंड अब तक नहीं पकड़ा गया।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 की सुबह सैर करते समय पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच पहले महाराष्ट्र पुलिस करती रही। नौ महीने बीत गए, तब भी कोई नतीजा सामने नहीं आया तो उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने 2016 में सनातन संस्था के सदस्य ईएनटी सर्जन और कथित प्रमुख साजिशकर्ता डॉ. वीरेंद्र तावड़े को गिरफ्तार किया था। उसके बाद अगस्त 2018 में दो शूटरों- शरद कलासकर और सचिन प्रकाशराव अंडुरे को गिरफ्तार किया। इन दोनों पर दाभोलकर पर गोलियां चलाने का आरोप है। मई 2019 में मुबंई के सनातन संस्था के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को गिरफ्तार किया गया। इनके अलावा तीन अन्य आरोपितों अमोल काले, अमित दिगवेकर और राजेश बांगेरा को गिरफ्तार किया है। ये तीनों 5 सितम्बर 2017 को बेंगलुरु में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के भी आरोपी हैं।

सीबीआई डॉ. वीरेंद्र तावड़े, शरद कलासकर, सचिन प्रकाशराव अंडुरे, संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। लेकिन तीन अन्य आरोपितों अमोल काले, अमित दिगवेकर और राजेश बांगेरा के खिलाफ अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है। वहीं एक आरोपी वकील संजीव पुनालेकर को जमानत मिल चुकी है। इस स्थिति से डॉ. दाभोलकर के परिजन बहुत दुखी हैं।

डॉ. दाभोलकर के पुत्र हमीद का कहना है, ‘सीबीआई को इस साजिश के मास्टरमाइंड को खोजना होगा, वरना तर्कवादी विचारकों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए खतरा बना रहेगा। डॉ. दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। इन हत्याओं के पीछे एक ही अपराधी है और उसके द्वारा एक ही हथियार एक से अधिक बार इस्तेमाल किया गया है। दो हथियारों का चारों हत्याओं में इस्तेमाल किया गया है। बेंगलुरु की प्रयोगशाला ने यह साबित भी किया है कि दाभोलकर और पानसरे की हत्या एक ही बंदूक से की गई थी।’

हमीद का कहना है कि पिछले सात साल में महाराष्ट्र में अलग-अलग दलों और पार्टियों की सरकारें बनीं। इसके बावजूद पीड़ादायक स्थिति यह है कि डॉ. दोभोलकर हत्याकांड की जांच अब भी अधूरी है। देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई भी अब तक इस मामले के मास्टरमाइंड को नहीं पकड़ पाई है। उसकी निगरानी में हो रही जांच छह साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है।

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Recent News

Epaper

मौसम

NEW DELHI WEATHER