सूर्य नमस्कार के साथ शुरू होती है प्रवासियों की दिनचर्या, सीख रहे हैं जीवन जीने की कला

सूर्य नमस्कार के साथ शुरू होती है प्रवासियों की दिनचर्या, सीख रहे हैं जीवन जीने की कला

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बेगूसराय। वैश्विक महामारी कोरोना से हर कोई हैरान, परेशान और तबाह है लेकिन इस तबाही के बीच भारतीय आध्यात्म दुनिया को एक नई दिशा देने का भी प्रयास कर रही है। दुनिया भर में लोग कोरोना से बचने के लिए विभिन्न तरह की दवा और संयम अपना रहे हैं। लेकिन इस दौर में भी विभिन्न […]
बेगूसराय। वैश्विक महामारी कोरोना से हर कोई हैरान, परेशान और तबाह है लेकिन इस तबाही के बीच भारतीय आध्यात्म दुनिया को एक नई दिशा देने का भी प्रयास कर रही है। दुनिया भर में लोग कोरोना से बचने के लिए विभिन्न तरह की दवा और संयम अपना रहे हैं। लेकिन इस दौर में भी विभिन्न राज्यों से आए प्रवासी योग के द्वारा निरोग रहने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। 
बेगूसराय के एकांतवास (क्वारेन्टाइन) केंद्र पर रह रहे प्रवासियों में से एक हजार से अधिक प्रवासियों की सुबह सूर्य नमस्कार के साथ होती है। यहां बखरी, गढ़पुरा समेत करीब तमाम प्रखंड स्तरीय एकांतवास केंद्रों पर बाहर से आए प्रवासी योग कर कोरोना को हराने के लिए अपना इम्यूनिटी पावर बढ़ा रहे हैं। योगाभ्यास कराने वाले भी प्रवासी हैं और करने वाले भी प्रवासी हैं, जिसके कारण दोनों में बेमिसाल तारतम्यता बन रही है। यह लोग पांच से भी अधिक प्रकार के आसन कर लगातार तंदुरुस्त हो रहे हैं। शुरू शुरू में दो-चार लोगों ने जब योगाभ्यास शुरू किया तो एकांतवास पर रहने वाले कुछ प्रवासियों ने हंसी भी उड़ाई थी। लेकिन अब धीरे-धीरे वे सब भी इस चीज को समझ रहे हैं और योग के द्वारा निरोग रहने के साथ-साथ जीवन जीने की कला सीख रहे हैं। योग के माध्यम से यह लोग रोग, शोक, संताप, तनाव, अनिद्रा और श्वास, गर्जन, रीढ़, रक्त चाप तथा पेट संबंधी परेशानी दूर कर रहे हैं। 
एकांतवास केन्द्र पर योग करवा रहे एक प्रवासी का कहना है कि हमारे शास्त्रों में योग का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है। यह सम्पूर्ण मानवता के लिए भारतीय संस्कृति की ओर से वो अमूल्य तोहफा है जो शरीर, मन, कार्य, विचार, संयम, संतुष्टि, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। योग केवल शरीर ही नहीं मन और आत्मा का शुद्धिकरण करके प्रकृति, ईश्वर और स्वयं के नजदीक लाता है। इसमें यम और नियम का पालन, प्राणायाम के द्वारा जीवन शक्ति पर नियंत्रण, बाहरी वस्तुओं के प्रति त्याग, एकाग्रता, चिंतन और अन्त में समाधि द्वारा योग से मोक्ष प्राप्ति तक के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। आधुनिक जीवन शैली और खान पान की खराब आदतों के कारण कम उम्र में ही मधुमेह और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे युवा योग को अपनी दिनचर्या में शामिल कर, अपने जीवन शैली का हिस्सा बनाकर स्फूर्ति, जोश और उत्साह से भरे माहौल के बीच इन बीमारियों पर विजय पा सकते हैं। स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकते हैं। इधर, डीएम अरविन्द कुमार वर्मा को जब प्रवासियों द्वारा योगाभ्यास करनेे की जानकारी मिली तो वह भी प्रवासियों को योग और स्थानीय खेलों के लिए लगातार प्रेरित कर रहे हैं, ताकि उनके बीच डिप्रेशन ना फैले। 
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