चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हॉकी के दिग्गज ने दृढ़ता, समर्पण और खेल कौशल के गुणों का अनुकरण किया है और वे खिलाड़ियों की पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक […]
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हॉकी के दिग्गज ने दृढ़ता, समर्पण और खेल कौशल के गुणों का अनुकरण किया है और वे खिलाड़ियों की पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक बलबीर सिंह सीनियर का निधन कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के बाद सोमवार को यहां मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में हो गया। अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘हॉकी के दिग्गज और ट्रिपल ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट बलबीर सिंह सीनियर के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उन्होंने दृढ़ता, समर्पण और खेल कौशल के गुणों का अनुकरण किया। सर, आपको बहुत याद किया जाएगा और हमेशा एक प्रेरणा बने रहेंगे!’
बलबीर के परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं। बलबीर सिंह सीनियर दुनियाभर में गोल मशीन के नाम से मशहूर थे। भारत ने हॉकी में ओलंपिक लंदन (1948), हेल्सिंकी (1952) और मेलबोर्न (1956) में स्वर्ण जीता था। खास बात यह है कि इन तीनों टीमों में बलबीर सिंह सीनियर पदक विजेता टीम के हिस्सा थे। साल 1948 के लंदन ओलंपिक में अर्जनटीना के खिलाफ उन्होंने 6 गोल दागे थे, इस मैच में भारत 9-1 से जीता था। इसी ओलंपिक के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 4-0 से हराया था, इस मैच में उन्होंने पहले 15 मिनट में दो गोल किये थे। देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे। हेलसिंकी ओलंपिक फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है।
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