सागर सूरज
मोतिहारी। जिले के संग्रामपुर थाना क्षेत्र के तिवारी टोला गाँव में एयर फोर्स के एक ऑफिसर को चाकू गोद कर निर्मम हत्या करने के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है। हालाँकि स्थानीय प्रशासन दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पांच दिन का समय लिया है। इस दरम्यान घटना का मुख्य अभियुक्त सब्बी मुखिया को मलाही थाना क्षेत्र के एक इलाके से गिरफ्तार कर लिया है, परन्तु इससे भी लोगों का आक्रोश ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया है कि घटना को शराब माफियाओं ने अंजाम दिया है। गाँव से सटे हजारों एकड़ में फैले सरेह में तक़रीबन 100 से अधिक जगहों पर चुलाई शराब बनाई जाती है, जहाँ से ट्रक और अन्य गाड़ियों से चुलाई शराब जिले के विभिन्न इलाकों में भेजी जाती है। शराब कारोबारी इन इलाके (सरेह) से शराब मुख्य मार्ग से ना ले जाकर स्थानीय लोगों के खेतों से होकर ले जाते है, ताकि किसी बाहरी प्रशासन से बच सके, जिसके कारण फसल इतनी बर्बाद होती है कि कई लोगों ने अपने खेतों में अब फसल लगाना भी बंद कर दिया। क्योकि यह कारोबार स्थानीय थाने की मिलीभगत से चल रही है, इसलिए आवेदन के बाद भी स्थानीय पुलिस कभी भी इस इलाके में झाकने तक नहीं आई।
बताया गया है कि शहीद आदित्य उर्फ़ अलोक तिवारी एयर फोर्स के ऑफिसर थे, उनके पिता चंद्रेश्वर तिवारी एक सम्मानित रिटायर प्रधान शिक्षक है। पिता ने खेत में शराब माफियाओं के द्वारा बनाये गए अवैध सड़क को रोकने को लेकर सबसे अरदास लगायी परन्तु किसी के द्वारा ध्यान नहीं देने के कारण अपने खेत के उक्त रास्ते में उन्होंने गढ्ढा खोद दिया, ताकि उक्त खेत को सड़क के रूप में इस्तेमाल ना किया जाये बावजूद इसके शराब कारोबारी बाइक पर शराब लादकर उसी खेत से जाने लगे और अधिक फसल नष्ट करने लगे, जिसको लेकर अलोक मना करने गए तो उनके पिता के सामने ही पुत्र को चाकू से गोद-गोद कर उनकी हत्या कर दी गयी।
ग्रामीणों की माने तो अलोक शराब माफियाओं से डरे नहीं इसलिए उनकी हत्या हो गयी वरना सैकड़ों लोगों के खेतों का इस्तेमाल ये माफिया करते है और कोई डर से बोल नहीं पाता। माफिया लोग गाँव के बगल के ही एक टोले में रहते है और तीन चार साल में ही झोपडी से महल बना लिए है। आरोप है कि कमाई का एक हिस्सा पुलिस को आज तक जाता है।
स्थानीय लोग बताते है कि माफियाओं के लिए कोई एक सड़क नहीं है जिसका वे इस्तेमाल शराब को ढोने में करते है, बल्कि वे स्थानीय पुलिस के लाइन मिले हुए खेतों का इस्तेमाल सड़क के रूप में करते है। वैसे ज्यादातर कारोबारी कही न कही से दरियापुर के जनता चौक से होकर जरूर गुजरते है, जिनका सबसे बड़ा व्यावधान वहां लगा सीसीटीवी था, जो अब लंबे समय से ख़राब पड़ा हुआ है।
घटना के 12 घंटे बाद पुलिस गाँव में तब आई जब शहीद की श्रधांजलि देने उसके अधिकारी गोरखपुर से गाँव में पहुँच गये। यही कारण है की पुलिस के प्रति भी आक्रोश कम नहीं है। संग्रामपुर थाना प्रभारी के गालों में एयर फोर्स के एक अधिकारी का थप्पड़ भी चर्चे में है। बताया गया की पुलिस की लापरवाही को लेकर ऑफिसर आक्रोशित हो गया था।
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