बांदा : कई हफ्तों तक चले मतदाता जागरूकता अभियान को झटका, मात्र 1.53 प्रतिशत मत बढ़ा
बांदा। जिलाधिकारी बांदा अनुराग पटेल ने विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई हफ्तों तक मतदाता जागरूकता अभियान चलाकर खूब पसीना बहाया। उनके इस प्रयास से पिछला रिकॉर्ड तो टूट गया, लेकिन मतदान का सिर्फ 1.53 प्रतिशत ही बढ़ पाया। पिछले विधानसभा चुनाव में 59. 94 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जबकि इस बार के विधानसभा चुनाव में 61.47 फीसदी मतदान किया गया। आशा के अनुरूप मतदान न होने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं।
इस बार विधानसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोटिंग कराने के लिए जिलाधिकारी ने 75 प्लस अभियान को धार देते हुए कई जन जागरूकता रैलियां निकाली। इन रैलियों में जिलाधिकारी ने स्वयं उपस्थित रहकर लोगों का हौसला बढ़ाया और अधिक से अधिक वोटिंग के लिए लोगों को प्रेरित किया। इतना ही नहीं मतदान शुरू होने से पहले ही कुछ स्कूलों के बच्चों को लेकर उन्होंने कुंडी खटखटाओ, वोट कराओ अभियान भी चलाया। इसके बावजूद मतदाता बड़ी मुश्किल से घर से निकले। जिससे 75 प्लस मतदान का लक्ष्य दूर की कौड़ी साबित हुआ।
इसके पीछे कई कारण निकल कर सामने आ रहे हैं मतदान प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से ही कई मतदान केंद्रों पर सेल्फी प्वाइंट बनाए गए थे ताकि मतदान के बाद युवा मतदाता सेल्फी ले सकें। उनके इस मुहिम को उस समय झटका लगा। जब पुलिस ने मतदान केंद्र के अंदर मोबाइल पर प्रतिबंध लगा दिया। मोबाइल लेकर मतदान करने पहुंचे मतदाताओं से साफ-साफ कहा गया कि आप लोग मोबाइल या तो घर पर रख कर लाएं या फिर किसी परिचित को देकर मतदान केंद्र के अंदर जाएं। इस अनावश्यक प्रतिबंध के लगने से जो लोग मतदान केंद्र तक वोटिंग करने पहुंचे लेकिन महंगा मोबाइल किसी के भरोसे छोड़ने के बजाय उन्होंने बिना वोट डाले ही घर वापस आना उचित समझा।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि, निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान केंद्र के अंदर मोबाइल ले जाने पर किसी तरह का वैन नहीं लगाया था लेकिन प्रदेश के कुछ स्थानों पर बूथ के अंदर की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने से प्रशासन द्वारा इस तरह का सख्त कदम उठाया गया। जिसका मतदान पर बुरा असर पड़ा। इसी तरह बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम मतदाता सूचियों से गायब रहे। जिनके घरों पर पर्चियां नहीं पहुंची वह वोट डालने के लिए मतदान केंद्रों में पहुंचे लेकिन मतदाता सूची में नाम ढूंढने के बाद भी जब नाम का पता ही नहीं चला तो उन्होंने बिना वोट डाले ही वापस लौटना उचित समझा। इस तरह मतदाता जागरूकता अभियान के तहत जहां मतदान का प्रतिशत बढ़ना चाहिए। वही, इस अभियान को आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली।
बताते चलें कि, वर्ष 2019 में तत्कालीन जिलाधिकारी हीरालाल ने मतदाता जागरूकता अभियान लोकसभा चुनाव में चलाया था। उन्होंने 90 प्लस अभियान का नारा दिया था उनके इस अभियान से लगभग 11 फीसदी मतों में पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ोतरी हुई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में 59. 94 वोटिंग हुई थी। इस बार आशा की जा रही थी कि जिले में कई हफ्तों तक चलाए गए मतदाता जागरूकता अभियान का असर लोगों पर पड़ेगा और मतदान का प्रतिशत 70 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन चारों विधानसभा सीटों में मतदान का प्रतिशत 61. 47 प्रतिशत रहा। सर्वाधिक बांदा सदर सीट पर लगभग 62 फीसदी रहा और सबसे कम वोटिंग तिंदवारी विधानसभा सीट में हुई है। दिल्ली में कुल जिले में 13 लाख से अधिक मतदाताओं में 7.85 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
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