आरटीआई का जवाब नहीं देने वाले केंद्रीय मंत्रालय पर गिरी सूचना आयोग की गाज

आरटीआई का जवाब नहीं देने वाले केंद्रीय मंत्रालय पर गिरी सूचना आयोग की गाज

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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बेगूसराय । लोगों को सशक्त करने के लिए लागू सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) को गति देने के लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन हालत यह है कि आवेदन देने के 30 दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध कराने का दावा करने वाले इस कानून के तहत केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय दो साल पूर्व मांगी गई सूचना का आवेदन फिर से देने का पत्र आवेदक को लिखती है।मामला लॉकडाउन के समय आरटीआई कार्यकर्ता 75 वर्षीय गिरीश प्रसाद गुप्ता को तेघड़ा अनुमंडल प्रशासन एवं फुलवड़िया थाना पुलिस द्वारा रात में घर से बुलाकर पिटाई से संबंधित है।

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घटना के संबंध में तत्कालीन पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री को आवेदक द्वारा भेजे गए पत्रों पर कार्यवाही संबंधित सूचना नहीं दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। सूचना अधिकार कानून के तहत द्वितीय अपील को आयोग ने गंभीरता से लिया है। सूचना आयोग ने संज्ञान लेते हुए पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के सीपीआई को नोटिस भेजकर 20 मई 2022 की सुनवाई में सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है।

बेगूसराय के शोकहारा निवासी आवेदक गिरीश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने घटना से संबंधित दो त्राहिमाम संदेश अपने क्षेत्रीय सांसद सह केंद्रीय पशुपलन मंत्री को निबंधित डाक से 20 अप्रैल एवं दो जून 2020 को भेजा था। कोई संज्ञान नहीं लिए जाने के बाद उन्होंने आरटीआई के जरिए मंत्रालय से कृत कार्यवाही की सूचना मांगी थी। लेकिन, 30 दिनों के अंदर कोई जवाब नहीं दिया गया तो नियमानुसार प्रथम अपील भी विभाग के वरीय पदाधिकारियों के समक्ष दायर किया गया। फिर भी कोई संज्ञान नहीं लेने पर मामले को द्वितीय अपील केंद्रीय सूचना आयोग नई दिल्ली में दायर करना पड़ा।

अब आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया है तथा सुनवाई में दोनों पक्षों की उपस्थिति होने की का आदेश जारी किया है, आदेश जारी होने से मंत्रालय में हड़कंप मचा हुआ है। मंत्रालय ने व्हाट्सएप पर पत्रांक 84, दिनांक 10 मई 2022 को आवेदन की प्रति उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। मंत्रालय के आरटीआई सेल के उप सचिव धर्म प्रकाश ने कहा है कि मंत्री कार्यालय को भेजा गया पत्र कोरोना लॉकडाउन एवं मंत्रिमंडल विस्तार के कारण नहीं मिल रहा है, जिसके कारण पूर्व में भेजे गए दोनों पत्र की छायाप्रति उपलब्ध कराया जाए। फोन भी किया जा रहा है, लेकिन मंत्रालय में पत्र सुरक्षित नहीं रखना गैर जिम्मेदाराना प्रक्रिया है। आवेदक के अनुसार मामला केंद्रीय सूचना आयोग में विचाराधीन है, उस आलोक में विधिवत अब सुनवाई होनी है। इसलिए बिना आयोग का आदेश मिले आवेदन पत्रों की छाया प्रति मंत्रालय को भेजना गलत होगा, इसकी सूचना उन्होंने आयोग एवं मंत्रालय को पत्र के माध्यम से दे दिया है।

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