सुरेश सिंह, सिकरहना (मोतिहारी)। ढाका प्रखंड अंतर्गत पचपकड़ी बाजार में अवैध नर्सिंग होम का कारोबार फल-फूल रहा। यहां पर करीब तीन दर्जन अवैध नर्सिंग होम संचालित है। इसमें दो-चार की बात छोड़ दी जाए, तो किसी भी नर्सिंग होम संचालक के पास डॉक्टर की डिग्री नहीं है। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा निबंधित पास होने पर भी संदेह है।
मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहा। सूत्रों की मानें तो सीएस ने अनुमंडल क्षेत्र के स्वास्थ्य पदाधिकारियों को वैध व अवैध नर्सिंग होम की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी दी है।
लेकिन, यह पदाधिकारी मोटी उगाही कर अवैध कार्य में लिप्त ऐसे नर्सिंग होम को वैध करार देते हैं। पैसे के खेल में सभी सच्चाई छिप जाती है और मरीज जान गवां कर इस बड़ी लापरवाही की भरपाई करते हैं।
पिछले माह पूर्व भी एक मरीज की हो गई थी मौत
पिछले माह चिकित्सकों की लापरवाही से एक मरीज की मौत हो गई थी। पचपकड़ी में अवैध नर्सिंग होम संचालकों का नेटवर्किंग दूर-दूर तक फैला है। जान गवानें वाले परिवार के लोगों को डरा धमकाकर एफआईआर दर्ज भी नहीं करने दिया जाता। समय रहते ऐसे नर्सिंग होम पर शिकंजा नहीं कसा गया तो मौतों का आंकड़ा बढ़कर कितना हो जाएगा, यह कहना मुश्किल होगा।
जांच में एक संचालक स्वयं को साबित नहीं कर पाएं डॉक्टर
चिकित्सक के निर्देश पर एक सप्ताहभर पूर्व पचपकड़ी बाजार में वैध व अवैध नर्सिंग होम की जांच को लेकर तीन सदस्यीय टीम पहुंची थी। सीएस के निर्देश पर अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई।
इसमें चिकित्सा पदाधिकारी डॉ जितेंद्र कुमार, सोहेल अख्तर एवं डीसीएम गजनफर आलम शामिल थे। इस कड़ी में जब टीम ने माताश्री सेवा सदन नर्सिंग होम की जांच की, तो संचालक बीएएमएस डॉ प्रमोद कुमार ने ना तो स्वयं को डॉक्टर साबित कर पाएं। वहीं नर्सिंग होम की व्यवस्था भी निम्न स्तर की दिखी।
सूत्रों की मानें तो फिलहाल अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा टीम की ओर से दी गई जांच रिपोर्टर सीएस को नहीं भेजी गई है। इस बीच खबर सामने आ रही है कि टीम में शामिल चिकित्सा पदाधिकारियों को मोटी रकम देकर अवैध को वैध कराने में सभी अवैध नर्सिंग होम संचालक लगे हुए हैं।
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