101 वर्षीय मुस्लिम महिला ने योग से दी बुढ़ापे को मात, नहीं कम हुई आंखों की रौशनी

101 वर्षीय मुस्लिम महिला ने योग से दी बुढ़ापे को मात, नहीं कम हुई आंखों की रौशनी

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश) उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में जीवन के 101 वसंत देख चुकी एक मुस्लिम महिला योग के जरिए बुढ़ापे को मात देकर लोगों के लिए मिशाल बन गई हैं। वह अपनी चौथी पीढ़ी के बच्चों के लिए भी निरोग जीवन जीने के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। इस बूढ़ी महिला के सामने नाती और पोतों के बच्चों की शादियां हो चुकी हैं। यह बुजुर्ग महिला आधुनिकता के दौर में भी बड़े ही सादगी से रहते हुए योग गुरु बाबा रामदेव के कार्यक्रम से प्रभावित होकर अपने ही घर में नियमित रूप से योगा और प्राणायाम करती हैं।

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हमीरपुर नगर के सैय्यद बाड़ा मुहाल निवासी इकबाल हुसैन की मां ताहिरा बेगम 101 साल की उम्र में भी अपना सारा काम खुद करती हैं। निरोगी जीवन जीने के लिये काफी समय से नियमित योग और प्राणायाम करती हैं। अनुलोम विलोम और अन्य प्राणायाम करने के बाद ही इनकी दिनचर्या शुरू होती है। इनके एक पुत्र और दो पुत्रियां है। सभी की शादियां भी हो चुकी हैं। इकलौते पुत्र इकबाल हुसैन की दो बेटियां है। इनके दोनों बेटियों की भी शादी हो चुकी है।

 योग प्राणायाम को बनाएं अपने जीवन का हिस्सा

ताहिरा बेगम की दोनों बेटियों के बच्चे भी हैं। उनके भी विवाह चुके है। ताहिरा बेगम का कहना है कि यदि योग गुरु रामदेव बाबा देश के लोगों को अच्छा और स्वस्थ जीवन जीने का कला सिखा रहे हैं तो इसमें बुराई ही क्या है। इसमें कोई पैसा भी नहीं लगता है। इसके बाद भी लोग योग प्राणायाम को अपनी जिन्दगी का हिस्सा नहीं बनायेंगे तो ये उनकी ही बड़ी नादानी है।

 नहीं कम हुई आंखों की रोशनी

ताहिरा बेगम ने बताया कि उन्हें अब भी आंखों से सब कुछ साफ दिखाई देता है। दोनों आंखों की रोशनी पहले जैसी बरकरार है। घर में बिना किसी के सहारे योग के विभिन्न आसन करती हैं। दांत भी सही सलामत है। बुजुर्ग महिला ने बताया कि संयमित भोजन करने और हरी सब्जी का ज्यादा उपयोग करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। अंकुरित अनाज खाने से भी शरीर भी स्वस्थ रहता है।

ताहिरा बेगम का परदादी और परनानी बनने का सपना पूरा हो चुका है। वह कहती हैं कि निरोगी जीवन जीने के लिए सभी को नियमित योग करना चाहिए। खानपान पर भी ध्यान देना चाहिए। भागदौड़ की जिन्दगी में ज्यादातर लोगों ने अपने जीने का तरीका ही बदल दिया है, इसीलिये लोग तरह-तरह की बीमारी से जूझ रहे हैं।

 

 

 

 

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