रि-सुपरविजन (भाग 1) : जब अनुसन्धानकर्ता डायरी और चार्जशीट को न्यायालय से लेकर भाग खड़ा हुआ...

रि-सुपरविजन (भाग 1) : जब अनुसन्धानकर्ता डायरी और चार्जशीट को न्यायालय से लेकर भाग खड़ा हुआ...

हाईकोर्ट को लिखने की धमकी के बाद एसपी ने भेजा नया चार्जशीट और नये अभियुक्त का नाम

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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डायरी और चार्जशीट को लेकर भागने के पीछे मृतक पुतुल कुमारी के जेल में बंद ससुर श्री नारायण सिंह को 167(बी) का लाभ देना था और लाभ मिल भी गया लेकिन असली खेल तो तब शुरू हुआ जब मुक़दमे के सुनवाई के दौरान 22-10-21 को कोर्ट ने तत्कालीन एसपी और थाना प्रभारी को शॉ-कौज करते हुए अनुसन्धान रिपोर्ट की मांग की गयी |

सागर सूरज

मोतिहारी: पुलिस के फौल्टी यानि दोषपूर्ण अनुसंधान इन दिनों न्यायालय में न्यायाधीश, अभियोजन पक्ष एवं अन्य अधिवक्ताओं के बीच खासे चर्चे का विषय बना हुआ है | बॉर्डर न्यूज़ मिरर के पाठकों के मांग पर शुरू यह कॉलम (रि-सुपरविजन) पुलिस अनुसन्धान के फौल्टी अनुसंधान की कलई तो खोलेगा ही साथ ही ऐसे लापरवाह एवं भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को बेपर्द भी करेगा |

मुक़दमे के दौरान अनुसन्धानकर्ता, पर्वेक्षण टिप्पणी देने वालों में पुलिस निरीक्षक, आरक्षी उपाधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक स्तर से किए गए अनुसन्धान और उसके कमियों से असली अपराधियों को मिलने वाले लाभ और पीड़ितों के साथ हुए अन्याय के ऊपर पुलिस सिस्टम को आइना दिखाने का कार्य इस कॉलम में माध्यम से किया जायेगा |

मामला पूर्व एसपी नवीन चंद्रा झा के कार्यकाल में कल्याणपुर थाना क्षेत्र के माधोपुर गाँव में घटित एक दहेज़ हत्या से जुड़ा है | मामले में अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट से अपना ओरिजिनल डायरी और चार्ज शीट लेकर भाग खड़ा हुआ था | लेकिन गलती से डायरी और चार्ज शीट का फोटो कॉपी कोर्ट में ही रह गया था | उसी फोटो कॉपी से पुलिस अनुसन्धान की कलई खुल सकी |

अनुसंधानकर्ता ने जेल में बंद अभियुक्त को दिया 167(2) का लाभ, अभियुक्त जमानत पर रिहा

डायरी और चार्जशीट को लेकर भागने के पीछे मृतक पुतुल कुमारी के जेल में बंद ससुर श्री नारायण सिंह को 167(बी) का लाभ देना था और लाभ मिल भी गया लेकिन असली खेल तो तब शुरू हुआ जब मुक़दमे के सुनवाई के दौरान 22-10-21 को कोर्ट ने तत्कालीन एसपी और थाना प्रभारी को शॉ-कौज करते हुए अनुसन्धान रिपोर्ट की मांग की गयी |

मृतक पुतुल कुमारी ने छतौनी थाना क्षेत्र में स्थित एक नर्सिंग होम में इलाज़ के दौरान सब इंस्पेक्टर जतेन्द्र कुमार रौशन को दिए फ़र्दबयान में अपने ससुर पर केरोसिन तेल डाल कर हत्या का आरोप लगाया था, जबकि अपने पति एवं अन्य संबंधियों पर ससुर को सहयोग करने का आरोप लगाया था | बुरी तरह से जले होने के कारण एसीजेएम मृतुन्जय कुमार राणा को खुद नर्सिंग होम में जाकर 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करना पड़ा, जिसमे भी सारे आरोप मृतक के ससुराल पक्ष पर ही लगाये गए थे | मामले में पुतुल कुमारी के मृत्यु के बाद उनके पिता शम्भू ठाकुर वादी की भूमिका में आ गए और न्याय के लिए भटकते रहे| पुलिस के फर्दव्यान और 164 के व्यान को डाईंग डिक्लेरेशन के रूप में ट्रीट किया गया |

कोर्ट को आश्चर्य तब हुआ जब चार्ज शीट और डायरी की जब दूसरी कॉपी न्यायलय में आई तो उसमे पुलिस ने एक अलग ही कहानी गढ़ डाली थी | अब नए चार्ज शीट के अनुसार पुतुल के ससुर नहीं बल्कि उसके पिता यानि बादी ही पुतुल यानि अपनी बेटी के हत्यारे थे | पुतुल ने 2019 में भी कल्याणपुर थाने में अपने पति एवं ससुराल पक्षों पर प्रताड़ना का मुकदमा किया था| हत्या के बाद आईपीसी 341, 323, 234, 307,498(ए), 504 आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन पुतुल के मौत के बाद 304 (बी) भी जोड़ दिया गया |

तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने रिपोर्ट 2 के माध्यम से मुक़दमे को उल्टा करते हुए पुतुल के पिता को ही अभियुक्त बना दिया और अनुसन्धानकर्ता को शम्भू ठाकुर को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया, जिसको लेकर अनुसन्धानकर्ता ने शम्भू ठाकुर के विरुद्ध एनबीडब्लू निकला तब जाकर शम्भू ठाकुर को पुलिस के इस खेल की जानकारी हुयी | शम्भू ठाकुर की अगर माने तो एसपी ने अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल करते हुए अंतिम समय में अभयुक्तों को बचा दिया, जबकि अनुसंधानकर्ता द्वारा न्यायालय में छोड़े गए पुलिस डायरी और चार्ज शीट में श्री नारायण सिंह और उसके परिजन के विरुद्ध ही मुकदमा सत्य किया गया था | अब सवाल ये है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने डीएसपी और अन्य निचले अधिकारियों के आदेशों और अनुसंधान को दरकिनार करते हुए अपने रिपोर्ट में अभियुक्तों को क्यों क्लीन चीट दिया होगा ? |

श्री ठाकुर ने आरोप लगाया कि एक तो उनके द्वारा तत्कालीन एसपी के विरुद्ध वरीय अधिकारियों से पत्राचार करना दूसरे अभियुक्तों का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव उन्हें ऐसा करने को मजबूर कर दिया| वैसे अधिकारियों के विचार उनके क्षेत्राधिकार में है, लेकिन पूर्व का केस डायरी और आरोप पत्र और फिर बाद के आरोप पत्र को लेकर अभियोजन खासे कंफ्यूज है | सवाल ये भी है कि अगर शम्भू ठाकुर हत्यारे थे तो श्री नारायण सिंह को किस बिनाह पर तीन महीने तक जेल में रखा गया |IMG-20221223-WA0213

ये सभी मामले एसपी नवीन चंद्रा झा के स्थानांतरण के दो माह पूर्व की है| श्री झा की शुक्रवार को ही प्रोन्नति करते हुए सरकार ने डीआईजी बना दिया है | (खबर केस रिकॉर्ड, अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं एवं पीड़ित पक्षों के ब्यान के आधार पर) | क्रमशः

 

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