भाषा की मर्यादा का पालन करना संचारकर्ता का प्रमुख कर्म: कुलपति

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मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। महात्मा गांधी  केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर स्थित कॉन्फ्रेंस हाल में ‘प्राचीन भारत की संचार व्यवस्था: विविध आयाम’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  अध्यक्षता कुलपति मा. प्रो. संजीव कुमार शर्मा  ने की। एवं विषय विशेषज्ञ वक्ता महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के […]
मोतिहारी, पूर्वी चम्पारण। महात्मा गांधी  केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर स्थित कॉन्फ्रेंस हाल में ‘प्राचीन भारत की संचार व्यवस्था: विविध आयाम’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  अध्यक्षता कुलपति मा. प्रो. संजीव कुमार शर्मा  ने की। एवं विषय विशेषज्ञ वक्ता महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो. ओम प्रकाश सिंह थे। स्वागत वक्तव्य एवं विषय प्रवर्तन  विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. अरुण कुमार भगत ने किया। 
       अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय वेद, पुराण और उपनिषद में भारतीय संचार व्यवस्था के बहुआयामी प्रवृत्ति के दर्शन होते हैं। उन्होंने रामायण के उस प्रसंग का जिक्र  किया जिसमे हनुमान जी मूर्छित लक्ष्मण के लिए पर्वत पर जड़ी-बूटी  लेने जाते हैं और रास्ते मे अवरोध उत्पन्न करने वाले लोगो से किस तरह का संवाद स्थापित करते हैं। प्रो. शर्मा ने कहा कि भाषा की अपनी मर्यादा होती हैं जिसे संचार से जुड़े लोगों को अपनानी चाहिए। 
       संगोष्ठी के विषय विशेषज्ञ वक्ता प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि भाषा का अपना स्वाभाविक संस्कार होती हैं। प्राचीन भारत की संचार व्यवस्था का उद्गम स्थल वेद ही है। शब्द के रूपों ध्वनि और लिपि की चर्चा करते उन्होंने कहा कि यह क्रमशः  अमूर्त  और  मूर्त हैं। प्रो. सिंह ने कहा कि पश्चिम में अध्यात्म की बड़ी भूख इसलिए हैं कि उनकी सभ्यता और संस्कृति के अनुकूल बने। शब्द को ब्रह्म इसलिए कहा गया है कि क्योंकि वह प्रतिबिम्बन पैदा  करता हैं और यदि प्रतिबिम्बन नहीं होगा तो संचार नही होगा।
       स्वागत एवं विषय प्रवर्तन वक्तव्य  में विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार भगत ने कहा कि प्राचीन भारतीय साहित्य में संचार के विस्तृत आयाम के दर्शन होते है। उन्होंने कहा कि  प्राचीन भारत में संचार  के सीमित साधन होते हुए भी उसका प्रभाव गहरा और स्थायी था। प्रो. भगत ने  संचार में सहजता, भाषा कौशल और विश्वसनीयता का भी जिक्र किया। 
कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। उसके बाद माननीय कुलपति जी द्वारा विषय विशेषज्ञ वक्ता प्रो. ओम प्रकाश का अंगवस्त्रम प्रदान कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मीडिया अध्ययन विभाग के शिक्षक डॉ. प्रशांत कुमार , डॉ.   अंजनी कुमार झा, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ.  साकेत रमन, डॉ. सुनील दीपक घोडके और अंग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रो. बिमलेश कुमार सिंह, पीआरओ शेफालिका मिश्रा और  छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का  संचालन संगोष्ठी संयोजक डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र एवं आभार ज्ञापन डॉ. अंजनी कुमार झा ने किया।
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