नई दिल्ली। जिस गलवान घाटी पर अपना दावा जताकर चीन भारत के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में जुटा रहा, उसी गलवान की बाढ़ ने चीनी सैनिकों के हौसले पस्त कर दिए और आखिरकार भारतीय जवानों के चट्टानी इरादों से टकराकर उन्हें वापस लौटना पड़ा। गलवान नदी के तट पर चीनी सेना ने भारत से मोर्चा लेने […]
नई दिल्ली। जिस गलवान घाटी पर अपना दावा जताकर चीन भारत के खिलाफ मोर्चाबंदी करने में जुटा रहा, उसी गलवान की बाढ़ ने चीनी सैनिकों के हौसले पस्त कर दिए और आखिरकार भारतीय जवानों के चट्टानी इरादों से टकराकर उन्हें वापस लौटना पड़ा।
गलवान नदी के तट पर चीनी सेना ने भारत से मोर्चा लेने के लिए अपने कैम्प लगा लिए थे लेकिन पानी का बहाव तेज होने पर नदी के किनारे चीन की तैनाती नहीं हो पा रही थी। इतना ही नहीं नदी का जल स्तर तेज गति से बढ़ने के कारण गलवान के किनारों पर लगे चीनी सेना के कैम्प बह गए हैंं। भारत के लद्दाख क्षेत्र में बहने वाली गलवान नदी अक्साई चिन क्षेत्र में उत्पन्न होती है, जो चीन के क़ब्ज़े में है लेकिन भारत इस पर अपनी सम्प्रभुता मानता है।
यह नदी काराकोरम की पूर्वी ढलानों में सामज़ुंगलिंग के पास आरम्भ होती है और पश्चिमी दिशा में बहकर श्योक नदी में विलय कर जाती है। मई के बाद भारत से तनाव बढ़ने पर चीन की सेना ने गलवान नदी के किनारे अपने कैम्प लगा दिए थे। इस समय नदी के पानी का स्तर तट के काफी ऊपर तक पहुंच गया है क्योंकि लगातार तापमान बढ़ने से आसपास की पहाड़ियों की बर्फ लगातार पिघल रही है जिसका पानी बहकर गलवान नदी में आ रहा है।
उपग्रह और ड्रोन की तस्वीरों से पता चलता है कि चीनी पीएलए के टेंट गलवान के बर्फीले बढ़ते पानी में पांच किलोमीटर गहराई में बह गए हैंं। काफी तेजी से बर्फ पिघलने के कारण नदी के तट पर इस समय स्थिति खतरनाक है। इसी तरह गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग झील में मौजूदा स्थिति के चलते चीनी सेना की तैनाती लंबे समय के लिए अस्थिर हो गई है। इसलिए चीन यहां से पीछे हटने के बाद अपने इलाके में अधिक से अधिक नई तैनाती करने में जुट गया है।
सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि ये केवल बरसात के मौसम को ध्यान में रखकर किया गया है। चीनियों का कोई भरोसा नहीं है। सितम्बर के आसपास जब बारिश कम होगी तो ये फिर वापस लौटेंगे, इसलिए हमेंं अपनी पूरी तैयारी रखनी चाहिए। चीनी सैनिक 14 जुलाई 1962 में भी गलवान से पीछे हटे थे और फिर अटैक कर दिया था। चीन भले अब भारत के साथ शांति और गलवान जैसी घटना के पुनरावृत्ति न होने देने की बात कह रहा है लेकिन 17 जून को चीनी विदेश मंत्रालय ने गलवान घाटी क्षेत्र में स्वायत्तता का दावा करते हुए भारत के बयान को बड़बोलापन और खोखला दावा बताया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजान ने कहा था कि गलवान घाटी की संप्रभुता हमेशा से चीन के पास रही है। भारतीय सैनिकों ने बॉर्डर प्रोटोकॉल और हमारे कमांडर स्तर की बातचीत में हुई सहमति का गंभीर उल्लंघन किया। चीनी प्रवक्ता ने साथ ही कहा कि चीन अब और संघर्ष नहीं चाहता।
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