राज्यसभा में विपक्ष ने किया ‘वायुयान संशोधन विधेयक’ का विरोध

राज्यसभा में विपक्ष ने किया ‘वायुयान संशोधन विधेयक’ का विरोध

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नई दिल्ली। मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को भारी चर्चा के बीच राज्यसभा में वायुयान संशोधन विधेयक (एयरक्राफ्ट अमेंडमेंट बिल) पास हो गया। हालांकि राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस बिल का जमकर विरोध किया। विपक्षी दलों ने कहा कि नियमों की अनदेखी कर एक कंपनी विशेष को निलामी में जिताया […]

नई दिल्ली। मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को भारी चर्चा के बीच राज्यसभा में वायुयान संशोधन विधेयक (एयरक्राफ्ट अमेंडमेंट बिल) पास हो गया। हालांकि राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस बिल का जमकर विरोध किया। विपक्षी दलों ने कहा कि नियमों की अनदेखी कर एक कंपनी विशेष को निलामी में जिताया गया। इस प्रकार की व्यवस्था सिर्फ इसलिए की सरकारी संस्था का निजीकरण किया जा सके।

राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस नेता सांसद केसी वेणुगोपाल ने सरकारी संस्थानों के निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि नीलामी में अडानी समूह को छह हवाईअड्डों के संचालन और विकास का जिम्मा मिला हैं। एक अकेली निजी संस्था को छह हवाईअड्डे दे देना नियमों का उल्लंघन है। सरकार ने अपने ही मंत्रालयों और विभागों की सलाह नहीं मानी। नियमों में परिवर्तन करके अडानी ग्रुप को नीलामी में जिता दिया गया।

वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) अब ‘एएए’ यानी ‘एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ अदानी’ बन गया है। यह सब सरकार के फैसलों का नतीजा है। इतना ही नहीं, राजस्थान और केरल सरकार द्वारा जयपुर एवं त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे के लिए जमीन दी गई, लेकिन उनकी चिंताओं पर भी विचार नहीं किया गया।

बीजू जनता दल (बीजद) सांसद प्रसन्ना आचार्य ने विमान संशोधन विधेयक पर कहा कि विमान दुर्घटनाओं और जांच के ऑडिट पर वर्ष 2017 और 2018 के बीच भारत के सुरक्षा स्कोर में गिरावट आई। ऐसे में वैधानिक रूप से बनाए जा रहे तीन निकायों को कार्यात्मक रूप से स्वायत्त (कम सरकारी नियंत्रण वाला) बनाया जाना चाहिए था लेकिन इस बिल में ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा। इसलिए जरूरी है कि इस बिल में सुधार की आवश्यकता है।

वहीं राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सांसद प्रफुल्ल पटेल ने हवाईअड्डों और विमानों की संख्या बढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि देश के करीब 4 से 5 प्रतिशत लोग साल में एक बार हवाई यात्रा करते हैं। ऐसे में यदि आंकड़ा 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जाता है तो हमें हवाईअड्डों और विमानों की संख्या में भारी वृद्धि की आवश्यकता होगी। जबकि कोविड-19 की वजह से एयरलाइंस को वित्तीय रूप से झटका लगा है और उन्हें समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पक्ष की ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए और मदद का बड़ा हाथ इनकी ओर बढ़ाना चाहिए।

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