महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा पर तथ्यों को छुपाने का लगा आरोप

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा पर तथ्यों को छुपाने का लगा आरोप

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  सागर सूरज मोतिहारी: मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति संजीव शर्मा के ऊपर कुलपति पद पर नियुक्ति मामले में तथ्यों को छुपाने के आरोप में मानव संसाधन विभाग भारत सरकार के द्वारा संज्ञान लिए जाने की खबरे आ रही है। इधर मानव संसाधन विभाग भारत सरकार के सचिव अमित खरे ने इस […]

 

सागर सूरज

मोतिहारी: मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति संजीव शर्मा के ऊपर कुलपति पद पर नियुक्ति मामले में तथ्यों को छुपाने के आरोप में मानव संसाधन विभाग भारत सरकार के द्वारा संज्ञान लिए जाने की खबरे आ रही है। इधर मानव संसाधन विभाग भारत सरकार के सचिव अमित खरे ने इस मामले में कुछ भी बोलने से सीधा इंकार कर दिया।

शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने कुलपति हेतु दिए आवेदन में बिभाग को अपने बारे में कई तरह के तथ्यों को छुपा लिया था, जो कुलपति पद की नियुक्ति में बड़ा बाधक बन सकता था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली में पदस्थापित सूत्रों की अगर माने तो मामले में कुलपति शर्मा से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है।

महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति अपने नियुक्ति के समय से ही विवादों एवं आरोपों को झेलते रहे है। इस विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अरबिंद अग्रवाल को भी ऐसे ही आरोपों के कारण मानव संसाधन विभाग ने त्यागपत्र ले लिया। अरबिंद अग्रवाल पर आरोप था कि अग्रवाल राजस्थान यूनिवर्सिटी से पीएचडी किये थे, जबकि कुलपति सलेक्शन कमिटी को अपना पीएचडी जर्मनी से किया हुवा बताया था। अग्रवाल के ऊपर विश्वविद्यालय के छात्राओं एवं छात्रों ने भी कई गंभीर आरोप लगाये थे।     

 

आरोप है कि वर्तमान कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा द्वारा कुलपति पद पाने हेतु मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार को दिए हुए आवेदन में लंबित विजिलेंस जाँच का तथ्य छुपाने एवं अपने पद का दुरुपयोग कर विश्वविद्यालय में कई अनियमितताएं किये जाने के बारे में है। इस आरोप के जांच के लिए आवेदन राष्ट्रपति को भी लिखा जा चुका है। 

बताया गया कि नियमतः किसी विश्विद्यालय के कुलपति पद के अंतिम दौर में पहुंचे अभ्यर्थियों से कुलपति चयन समिति विजिलेंस क्लियरेंस की मांग उनसे सम्बंधित संस्थानों से करती है। अगर किसी अभ्यर्थी का  विजिलेंस क्लीरेंस नहीं रहता है तो उनको कुलपति पद के लिए अयोग्य माना जाता है, जैसा की 2015 में महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्विद्यालय के प्रथम कुलपति के चयन में अंतिम दौर में पहुंचे उम्मीदवार प्रो. जीडी शर्मा के आवेदन को मानव संसाधन विभाग  द्वारा इसी आरोप में निरस्त कर दिया गया था।

इसकी पुष्टि मानव संसाधन विभाग ने खुद अपने एक आरटीआई  से दिए सूचना के माध्यम से किया है कि  प्रो. संजीव शर्मा ने अपने मूल विश्वविद्यालय यानि की चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मदद से उनके ऊपर गलत तरीके से रीडर से प्रोफेसर बनने  और अन्य कई  मामलों  में विजिलेंस जांच  जो अभी भी  लंबित है, उस तथ्य को छुपा दिया और गलत तरीके से महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्विद्यालय मोतिहारी में कुलपति का पद हासिल किया है।

बताया गया कि इसके पूर्व चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा ने राज्यपाल के सचिव को 2002 में एक पत्र लिखा, जिसमे प्रो. संजीव शर्मा के ऊपर अनुशासनात्मक करवाई करने की बात कही। प्रो. शर्मा पर न केवल नियुक्ति और पदोन्नति के मामले में केस लंबित है, अपितु एक शोध छात्रा  श्रीमती आभा सिंह ने महिला उत्पीड़न की शिकायत  कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय मेरठ और श्री जीबी पटनायक प्रमुख सचिव महामहिम कुलाधिपति राजभवन लखनऊ  दर्ज कराई कराई थी।

 

इसी बीच सुप्रिम कोर्ट के अधिवक्ता एवं चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता संदीप पहल ने बताया कि शर्मा कई तरह के गंभीर आरोपों से घिरे रहे है फिर भी कुलपति के पद पर नियुक्ति मानव संसाधन विभाग पर सवालिया निशान खड़ा करता है।  बार– बार प्रयास के बाद भी कुलपति एवं विश्वविद्यालय के तरफ से कोई पक्ष नहीं रखा गया।

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