राजस्थान में हादसे के बाद एक बार फिर उठे रूसी विमानों पर सवाल

राजस्थान में हादसे के बाद एक बार फिर उठे रूसी विमानों पर सवाल

- रूसी हेलीकॉप्टर एमआई-17वी 5 के ही दुर्घटनाग्रस्त होने पर सीडीएस समेत हुई थी 14 लोगों की मौत - वायुसेना, सेना और नौसेना ने पिछले 10 सालों में खो दिए 60 से अधिक रूसी विमान और हेलीकॉप्टर

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा के करीब शुक्रवार की रात राजस्थान के जैसलमेर में वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 क्रैश होने के बाद एक बार फिर रूसी विमानों पर सवाल उठे हैं। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 14 लोगों की मौत भी रूसी हेलीकॉप्टर एमआई-17वी 5 के ही दुर्घटनाग्रस्त होने पर हुई थी। वायुसेना, सेना और नौसेना ने पिछले 10 सालों में 60 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टर खो दिए हैं। इन दुर्घटनाओं में 84 से अधिक जवान भी शहीद हुए हैं। वायुसेना ने हर दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दिए हैं लेकिन जांच के नतीजों का पता नहीं चला है।

पहले बात करते हैं रूसी मिग-21 या मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान की जो 5 साल में 11 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। राजस्थान के जैसलमेर जिले में शुक्रवार रात 8.30 बजे मिग-21 बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर विंग कमांडर हर्षित सिन्हा के शहीद होने पर एक बार फिर सुरक्षा पर सवालों को जन्म दिया है। सिर्फ इसी साल मिग-21 बाइसन से जुड़ी तीन दुर्घटनाएं हुई हैं। इसी साल की शुरुआत होते ही 05 जनवरी को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ में प्रशिक्षण के दौरान वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 बाइसन क्रैश हुआ था। विमान में गड़बड़ी का पता लगते ही पायलट ने सुरक्षित रूप से निकासी कर ली, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई थी।

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इसी साल 17 मार्च को ग्वालियर में एक मिग-21 बाइसन दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की मौत हो गई। इस विमान ने ग्वालियर एयर बेस से लड़ाकू प्रशिक्षण मिशन के लिए उड़ान भरी थी। टेक-ऑफ रन के दौरान ही यह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बाद पश्चिमी सेक्टर पंजाब में 21 मई को लड़ाकू विमान मिग बाइसन विमान के क्रैश होने पर पायलट अभिनव चौधरी समय रहते विमान से कूद गए लेकिन उनका पैराशूट नहीं खुल पाया। अभिनव ने अंतिम समय तक विमान को संभालने का प्रयास किया, ताकि इसे आबादी क्षेत्र से दूर मोड़ा जा सके लेकिन दो किमी. दूर नीचे गिरते ही उनकी सांसें भी थम गईं। लगभग 4 घंटे की मशक्कत के बाद पायलट चौधरी का पार्थिव शरीर दुर्घटनास्थल से दो किलोमीटर दूर खेतों में पाया गया था।

इसी तरह दस साल में रूसी एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की सात दुर्घटनाओं में 56 लोगों जान जा चुकी है। सबसे ताजा दुर्घटना इसी माह 08 दिसम्बर को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टर की हुई। इसने सुबह 11:48 बजे सुलूर एयर बेस से उड़ान भरी और 12:08 बजे एयर ट्रैफिक कंट्रोल का हेलीकॉप्टर से संपर्क टूट गया। तमिलनाडु में कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए इस हेलीकॉप्टर में सीडीएस रावत, उनकी पत्नी मधुलिका समेत सभी 14 लोगों की मौत हो गई। इस हेलीकॉप्टर को सैन्य इस्तेमाल के लिहाज काफी उन्नत माना जाता है। इसका इस्तेमाल ट्रूप और आर्म्स ट्रांसपोर्ट, फायर सपोर्ट, एस्कॉर्ट, पेट्रोलिंग और सर्च-एंड-रेस्क्यू मिशन के लिए भी किया जाता है। भारत में कई वीवीआईपी भी इसका इस्तेमाल करते हैं।

एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से जुड़ी दुर्घटनाएं:-

अरुणाचल प्रदेश, 2010, दिनांक: 19 नवंबर, 2010; स्थान: तवांग, अरुणाचल प्रदेश; हताहत: 12 मृत
अरुणाचल प्रदेश के तवांग से उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार सभी 12 सशस्त्र बल जवानों की मौत हो गई। चीन की सीमा से लगे बोमदिर में हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से भारतीय वायुसेना के 11 अधिकारियों समेत 12 लोगों की मौत हो गई जिनमें से दो पायलट और एक सैन्य अधिकारी शामिल हैं। गुवाहाटी जाने वाले हेलीकॉप्टर के तवांग हेलीपैड से उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद यह दुर्घटना हुई।

गुजरात, 2012, दिनांक: 30 अगस्त, 2012; स्थान: जामनगर, गुजरात; हताहत: 9 मृत

30 अगस्त को, गुजरात में जामनगर शहर के पास एक हवाई अड्डे से टेकऑफ़ के तुरंत बाद हेलीकॉप्टर के बीच हवा में टकरा जाने से दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों में सवार पांच अधिकारियों सहित वायु सेना के नौ कर्मियों की मौत हो गई थी। बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर कथित तौर पर एक बमबारी मिशन के लिए अभ्यास पर थे जब दुर्घटना हुई। घटना के बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "नौ कर्मी विमान में सवार थे और सभी ने दम तोड़ दिया।" उन्होंने कहा, "हेलीकॉप्टरों ने जामनगर एयरबेस से उड़ान भरी थी और वे नियमित उड़ान प्रशिक्षण मिशन पर थे।"

उत्तराखंड, 2013, दिनांक: 25 जून, 2013; स्थान: गौरीकुंड, उत्तराखंड; हताहत: 8 मृत
उत्तराखंड में बचाव अभियान के दौरान वायुसेना का एमआई-17वी 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भारतीय वायुसेना ने मरने वालों की संख्या आठ बताई, जिसमें हेलिकॉप्टर के चालक दल के पांच सदस्य भी शामिल हैं। वायुसेना के एक बयान में कहा गया कि गौचर से गुप्तकाशी और केदारनाथ के बचाव अभियान पर हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के उत्तर में केदारनाथ से वापसी के चरण में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

अरुणाचल प्रदेश, 2017, दिनांक: 6 अक्टूबर, 2017; स्थान: तवांग के पास, अरुणाचल प्रदेश; हताहत: 7 मृत
अरुणाचल प्रदेश के चुना इलाके में भारतीय वायुसेना का एमआई-17वी 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार सभी सात लोगों की मौत हो गई। हादसा अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से सेक्टर के चुना में सुबह करीब छह बजे हुआ। हेलिकॉप्टर भारत-चीन सीमा से करीब 12 किलोमीटर और तवांग से करीब 100 किलोमीटर दूर पहाड़ी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। यह हेलीकॉप्टर एक हवाई रखरखाव मिशन को अंजाम दे रहा था और उसने तवांग सेक्टर से उड़ान भरी थी।

उत्तराखंड, 2018, दिनांक: 3 अप्रैल, 2018; स्थान: केदारनाथ; हताहत: कोई नहीं
निर्माण सामग्री ले जा रहा एमआई-17 हेलीकॉप्टर 3 अप्रैल, 2018 को केदारनाथ में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलिकॉप्टर में छह लोग सवार थे, जो सभी दुर्घटना में बच गए। दुर्घटना के समय हेलिकॉप्टर गुप्तकाशी से केदारनाथ जा रहा था। लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जब यह केदारनाथ मंदिर की परिधि की दीवार से टकराया।

जम्मू और कश्मीर, 2019, दिनांक: 27 फरवरी, 2019; स्थान: बडगाम, जम्मू और कश्मीर; हताहत: 6 मृत

एमआई-17 हेलीकॉप्टर 27 फरवरी को श्रीनगर हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद बडगाम में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के दौरान उसमें सवार सभी छह कर्मियों की मौत हो गई। दुर्घटना उसी समय हुई जब पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के एक समूह ने एक दिन पहले पाकिस्तान के बालाकोट में एक आतंकी शिविर को निशाना बनाकर भारतीय वायु सेना के हवाई हमले के जवाब में भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास किया था।

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