गैंग्स ऑफ वासेपुर से कम नहीं गैंग्स ऑफ रघुनाथपुर, एक अधिवक्ता है सरगना

गैंग्स ऑफ वासेपुर से कम नहीं गैंग्स ऑफ रघुनाथपुर, एक अधिवक्ता है सरगना

फिर हुआ हत्या, कब्जे के खेल में पुलिस भी शामिल

Reported By SAGAR SURAJ
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‘गैंग्स ऑफ रघुनाथपुर’ के आतंक से इलाके के लोग तेजी से अपनी जमीन को बेच कर भागने की फिराक मे लगे है | लगातार लोगों की जमीन अपराधी कब्जा कर रहे है और विरोध करने पर हत्या तक की घटना का अंजाम दे रहे है |

 

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सागर सूरज

 

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मृतक रॉबिन साह , जिसकी मंगलवार को जमीन कब्जे मे हुई हत्या

 

मोतिहारी : मंगलवार की सुबह एक जमीन के कब्जे को लेकर दो अपराधी गुट आमने- सामने हो गये , जिसमे एक गुट के रॉबिन साह को गोली मार दी गई, जिनकी मौत अस्पताल ले जाते वक्त ही हो गई  | बताया गया कि बलुआ के सिन्हा जनरल स्टोर की जमीन थी जिसमें एक पक्ष कब्जा कर रहा था दूसरे पक्ष की ओर से अपराधी रॉबिन साह को कब्जे को बचाने की जिम्मेवारी थी | कब्जा करने वाला व्यक्ति भी दुर्दांत अपराधी बताया जाता है, जिसके कब्जे की सुपारी ली थी |

गत दो दिन पहले सदर अस्पताल के एक अवकाश प्राप्त चिकित्सक के घर मे भू माफियाओं ने ताला जड़ दिया | चिकित्सक की भूमि 100 वर्ष पुरानी थी, जिसमे से कई लोग चिकित्सक और उनके परिजनों से जामिनों की खरीददारी भी किए है | सहायक पुलिस अधीक्षक श्री राज ने ताला खोलने और प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया | ताला जड़ने वालों का नाम भी पुलिस को दिया गया, क्योंकि आवेदन अज्ञात पर था |

पता चला उसी रात्रि अपराधी ताला तो खोल दिए लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी | रघुनाथपुर ओपी प्रभारी संदीप कुमार की इन भूमि माफियाओं से मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता | यही नहीं चिकित्सक पर दबाब बनाने के मद्देनजर पुलिस भू-माफियाओं से दलित उत्पीड़न का एक मुकदमा का आवेदन भी ले लिया, और चिकित्सक के सभी सहयोगियों का नाम भी उक्त आवेदन मे दे दिया गया ताकि चिकित्सक अपने आवेदन पर मुकदमा दर्ज करने का दबाब  पुलिस पर नहीं बनाए |

 

बताया गया कि रघुनाथपुर मे वर्षों से अपराधियों के कई गैंग्स सक्रिये है | सुपारी किलिंग और जामिनों के कब्जे उनके आमदनी के मुख्य साधन है | ज्यादातर स्थानीय पुलिस से उनकी सांठ-गांठ रहती है और वे एक खेसटा  बैनामा के आधार पर पहले दीवानी मुकदमा करते है फिर कब्जा ताकि पुलिस को दीवानी मुकदमा की बात कह कर बचने का मौका दिया जा सके |

स्थानीय लोगों पर भरोसा करें तो एक अधिवक्ता उपयुक्त दोनों ही मामलों मे इन भू- माफियाओं का सहयोगी होता है और तकरीबन हर मामलों मे वही अधिवक्ता अपराधियों के खेमे मे रहता है | रॉबिन साह की हत्या और चिकित्सक वाले मामले मे भी खेसटा बायनमा का ही सहयोग लिया गया है | और बताया गया की उसी अधिवक्ता द्वारा ना केवल फर्जी खेसटा बयनामा बनाया गया है, बल्कि फर्जी मुकदमे भी लड़े जाते है |

अब सवाल ये है कि क्या स्थानीय पुलिस को इसकी भनक नहीं होती ?  होती है लेकिन भू –माफिया ऐसे मामलों मे मोटी रकम देते है | और पुलिस को जमीनी विवाद कह कर बचने का मौका मिलता है, लेकिन जब दोनों तरफ से ताना तानी होती है तो हत्या लाजिमी है | शरीफ लोग तो जान गवाने से बेहतर अपनी जमीन को छोड़ देने मे ही बहादुरी समझते है |  

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