अशफाक उल्लाह खां प्राणिउद्यान की पहली वर्षगांठ की तैयारी शुरू
गोरखपुर । 27 मार्च को प्राणी उद्यान की पहली वर्षगांठ मनाई जाएगी। इसकी तैयारियां शुरू हैं। सिर्फ 11 माह की अवधि में प्राणी उद्यान का 67 हजार 442 विद्यार्थियों ने भ्रमण किया है। अब यह प्राणि उद्यान अपनी पहचान एक ज्ञान के मंदिर के रूप में भी बनाने लगा है।
प्राणी उद्यान निदेशालय 27 मार्च को वर्षगांठ के मद्देनजर कार्यक्रम की तैयारी कर रहा है। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की बंदी के बावजूद प्राणी उद्यान में 31 जनवरी तक गोरखपुर और आसपास के जिलों से 6 लाख 19 हजार 450 पयर्टक आए। इनमें विभिन्न जिलों के 720 विद्यालयों से 45 हजार 730 छात्रों ने भी प्राणिउद्यान का भ्रमण कर अपनी ज्ञान पिपासा को शांत किया है। इस दौरान इन छात्रों ने मिलने वाली छूट की सुविधा का भरपूर लाभ उठाया है। इनके अलावा 21 हजार 712 ऐसे अवयस्क छात्र हैं, जिन्होंने बिना छूट के ही इस प्राणी उद्यान का भ्रमण किया है। इनकी सुविधा के लिए प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ एच राजा मोहन और वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ योगेश प्रताप सिंह इस प्राणी उद्यान को वन्यजीवों और पयर्टकों के लिए सुविधाजनक और ज्ञानवर्धक बनाने में जुटे हैं।
रेस्क्यू हुए 80 वन्य जीवों का घर बना प्राणी उद्यान
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान गोरखपुर आसपास के जिलों में रेस्क्यू होने वाले खूंखार वन्यजीवों को नया जीवन भी दे रहा है। वर्तमान में प्राणी उद्यान के रेस्क्यू सेंटर में महराजगंज जिले से रेस्क्यू कर लाए गए एक नर एक मादा तेंदुआ, एक जंगल कैट, एक चीतल, चार दुर्लभ वॉर्न आउल, दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन प्रजाति का गिद्ध और कई सर्प संरक्षित हैं। दो हिमालयन ग्रिफॉन दुर्लभ गिद्ध में एक को बचाया जा सका तो दूसरी ओर जंगल कैट के 150 से 140 ग्राम के चार बच्चों में एक को बचा लिया गया। वॉर्न आऊल के 4 बच्चे सकुशल रेस्क्यू सेंटर में हैं। बहराइच से रेस्क्यू कर लाई गई चीतल भी स्वस्थ है। अजगर, गेहुंअन सर्प भी संरक्षित है। इसके अलावा काफी संख्या में अजगर, पैराकीट, लव बर्ड, मुनिया, बजरीगर, काकाटील, विभिन्न प्रजाति के कछुएं रेस्क्यू कर लाए गए है, जिन्हें स्वस्थ्य होने के बाद उनके सुरक्षित परिवेश में छोड़ा जा चुका है।
हेरिटेज एवियंस के संयोजक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर आर्किटेक्ट अनुपम अग्रवाल कहते हैं कि पहले रेस्क्यू सेंटर न होने से बहुत दिक्कतें होतीं थीं। मजबूरन जख्मी वन्यजीव को उनके हाल पर जंगल में छोड़ दिया जाता था, लेकिन अब परिस्थितियां बदलीं हैं। वन्यजीव संरक्षित और सुरक्षित हो रहे हैं।
अशफाक उल्लाह खां प्राणी उद्यान ऐसा पहला उद्यान है, जिसमें अस्पताल के साथ अलग से रेस्क्यू और क्वारंटीन सेंटर हैं। प्राणी उद्यान में लॉयन, टाइगर, लैपर्ड और भालू के लिए बनाए गए एक रेस्क्यू सेंटर, हॉयना, जैकाल, वुल्फ और फाक्स के लिए एक और हिरण के लिए रेस्क्यू सेंटर बना है। पक्षियों के लिए भी एक रेस्क्यू सेंटर बना है। इतने ही क्वारंटीन सेंटर भी बने हैं।
प्राणी उद्यान में 36 प्रजाति के 206 वन्यजीव
27 मार्च 2021 में यह प्राणिउद्यान लोकार्पित किया गया तो इसमें 151 वन्यजीव थे। वर्तमान में प्राणी उद्यान में 36 प्रजातियों के 206 वन्यजीव हैं। यह वन्यजीव प्रेमियों एवं पयर्टकों का मनोरंजन करने साथ उनका ज्ञानवर्धन भी कर रहे हैं। कई वन्यजीव ने प्राणी उद्यान में मिल रही सुविधाओं का लाभ उठा प्रजनन कर अपनी संतति में इजाफा भी कराया है। सूबे का पहला 7डी थियेटर वन्यजीव की अद्भुत दुनिया का सजीव आनंद दिला रहा है। वर्षा, हिमपात, भूकंप सरीखी प्राकृतिक घटनाओं का वास्तविक रूप से अनुभव भी करावा रहा है।
आएंगे गेंडा, जेब्रा और हिमालयन ब्लैक बीयर
नवाब वाजिदअली शाह प्राणी उद्यान लखनऊ से दो जेब्रा एक नर और एक मादा जल्दी ही यहां लाया जाएगा। असम के असम राज्य प्राणी उद्यान गोवाहाटी से दो गेंडा एक नर और एक मादा लाए जाने की तैयारी है। हिमालयन ब्लैक बीयर लाने के लिए सीजेडए की अनुमति मिल चुकी है। ट्वाय ट्रेन चलाने की तैयारी है। प्राणी उद्यान में बब्बर शेर पटौदी एवं मरियम, बाघ अमर और मैलानी, तेंदुए नारद और मोना, स्लाथ बियर नीतीश और रानी, दरियाई घोड़ा लक्ष्मी और जय समेत अन्य वन्यजीव सबके आकर्षण का केंद्र हैं।
34 में वेटलैंड-30 एकड़ में वनक्षेत्र
रामगढ़ झील से सटा शहर के मध्य स्थित प्राकृतिक वातारण में 121.32 एकड़ में र्निर्मित प्राणी उद्यान को सीजेडए के नार्म के मुताबिक 58 प्रजातियों के संरक्षण के लिए निर्मित किया गया है। एक ओर वनभूमि दूसरी ओर रामगढ़ झील से घिरा प्राणी उद्यान का वास्तुशिल्प भी आकर्षित करता है। प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर की प्रतिकृति प्रवेश द्वार में दिखती है। अन्य संरचनाएं महात्मा बुद्ध को समर्पित हैं।
यह भी हैं आकर्षण केंद्र
हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर अनिल कुमार तिवारी कहते हैं कि प्राणी उद्यान में 34 एकड़ का प्राकृतिक वेटलैंड है। 30 एकड़ का हरित क्षेत्र है। इसके अलावा 7 एकड़ में अस्पताल, क्वारंटीन सेंटर, रेस्क्यू सेंटर और कर्मचारियों अधिकारियों के आवास निर्मित हैं। प्राणी उद्यान अपने मुख्य उद्देश्यों में वन्यजीवों के लिए समाज में जागरुकता और संवेदनशीलता उत्पन्न करने के साथ ही वन्यजीवों के प्रजनन एवं स्वास्थ्य के लिए उत्तम परिवेश मुहैय्या कराता है।
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