विपीन अग्रवाल व पत्रकार हत्या मामले के कई अनछुए पहलुओं पर जांच करेंगे एसपी कुमार आशिष

विपीन अग्रवाल व पत्रकार हत्या मामले के कई अनछुए पहलुओं पर जांच करेंगे एसपी कुमार आशिष

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
अभिनव धीमान के पर्वेक्षण टिप्पणी पर अगर भरोसा करें तो विपिन अग्रवाल हत्याकांड में कुल- 15 लोगों के विरुद्ध घटना को सत्य करार दिया गया है, जिसमे मनीष पटेल, सचिन सिंह, पप्पू सिंह, विवेक कुमार सिंह, नीरज कुमार, अजय सिंह, भुआल प्रसाद, हिरा अग्रवाल, गौतम अग्रवाल, कुकी लाल साह, किनदेव प्रसाद, अभिमन्यु सिंह, राजेश कुमार सिंह, पप्पू खंडेलवाल और प्रमोद अग्रवाल शामिल है।

सागर सूरज 

मोतिहारी। मोतिहारी एसपी कुमार आशीष ने पत्रकार मनीष एवं आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या से जुड़े कई अन्य अनसुलझे पहलुओं की बारीकी से जाँच करने का आदेश संबंधित अधिकारियों को दिया है।

आरोप है कि पूर्व एसपी नवीन चन्द्र झा ने जाते- जाते हरसिद्धि बजार निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल के असली साजिशकर्ताओं को लाभ दे गये थे। यही हालत पत्रकार मनीष कुमार हत्याकांड के पर्यवेक्षण टिप्पणी का भी रहा। एक तरफ जहाँ विपिन अग्रवाल हत्याकांड के असली साजिशकर्ताओं को पर्यवेक्षण टिप्पणी में लाभ पहुंचाते हुए उनके अभियुक्तिकरण को लेकर जांच लगा दिया गया है, तो यही खेला पत्रकार मनीष हत्याकांड के नामजद अभियुक्तों के साथ भी हुआ है। खबरों और उपलब्ध कागजातों पर अगर भरोसा करें तो यह सारा खेल अरेराज में नव-नियुक्त प्रशिक्षु आइपीएस अभिनव धीमान के माथे पर खेला गया। एक तरफ जहाँ विपिन अग्रवाल हत्याकांड में वे सभी लोग पुलिस से लाभ ले चुके है, वही जिन लोगों ने सरकारी भूमि को सबसे ज्यादा कब्ज़ा किये हुए हैं वे या तो पैसे या उच्च राजनीतिक पहुँच वाले है।

DF

अभिनव धीमान के पर्वेक्षण टिप्पणी पर अगर भरोसा करें तो विपिन अग्रवाल हत्याकांड में कुल- 15 लोगों के विरुद्ध घटना को सत्य करार दिया गया है, जिसमे मनीष पटेल, सचिन सिंह, पप्पू सिंह, विवेक कुमार सिंह, नीरज कुमार, अजय  सिंह, भुआल प्रसाद, हिरा अग्रवाल, गौतम अग्रवाल, कुकी लाल साह, किनदेव प्रसाद, अभिमन्यु सिंह, राजेश कुमार सिंह, पप्पू खंडेलवाल और प्रमोद अग्रवाल शामिल है। पर्वेक्षण टिप्पणी में जाँच में लाये गए लोगों में राजू दुबे, उदय उर्फ़ उदार सिंह, राजेंद्र यादव, महेंद्र यादव, अलगू यादव, अशोक अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता और दिनेश कुमार अग्रवाल शामिल है। बता दे कि पुलिस भी बताती रही है कि विपिन अग्रवाल की हत्या का मुख्य कारण बेतिया राज की जमीन के अतिक्रमण को लेकर पटना उच्च न्यायालय एवं लोकायुक्त के यहाँ मामला दर्ज करवाया गया था, कुछ मामलों में अतिक्रमण भी खाली करवाया गया था। डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया कि क्या राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के कोल्ड स्टोर में अतिक्रमणकारियों की कोई बैठक हुई थी, जिसमे विपिन अग्रवाल की हत्या को लेकर चंदा इक्कठा किया गया था। अतिक्रमणकारियों की सूची अंचल कार्यालय से लिया जाये, ताकि ये मालूम हो सके की किन- किन लोगों को विपिन अग्रवाल की हत्या से लाभ पहुँच सकता था। अभियुक्तों के अपराधिक इतिहास और अभियुक्तों के मोबाइल की जांच आदि के संबंध में साक्ष्य एकत्रित करें।

इस मामले में एक पत्रकार के विरुद्ध भी मामला सत्य करार दिया गया है और उनके पत्रकारिता के पेशे को भी पर्यवेक्षण टिप्पणी में चर्चा किया गया है। जबकि भाजपा के एक पूर्व जिला अध्यक्ष है एवं एक पूर्व जिला परिषद सदस्य के पदों की चर्चा इस पर्यवेक्षण में नहीं दिया गया है। पत्रकार राजेश के परिजनों ने  सभी वरीय अधिकारियों को लिखे पत्रों में बताया कि अतिक्रमण कारियों के सूची में उनका नाम नहीं है और ना ही उनका कोई आपराधिक इतिहास रहा है। उनका कॉल डिटेल और कोल्ड स्टोर के सीसीटीवी को देखा जाय तो पता चलेगा वे घटना के रोज मोतिहारी में अखबार की मीटिंग में शामिल हो रहे थे। इधर पत्रकार हत्याकांड मामले में सिर्फ तीन लोगो के विरुद्ध मुक़दमे को सत्य करार दिया गया और बाकियों को जाँच में डाल दिया गया। सबसे पहले एक डीएसपी ने मुक़दमे के सारे अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा सत्य किया था, लेकिन मृतक के पिता संजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि बाद में फिर से पर्वेक्षण की जिम्मेवारी अभिनव धीमान को पूर्व एसपी ने दिया था। लम्बे समय पहले गिरफ़्तारी वारंट सबों पर निकाला तो गया लेकिन पुलिस कार्रवाई अन्य अभियुक्तों के मामले में सिफर रहा।

Related Posts

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Recent News

Epaper

मौसम

NEW DELHI WEATHER