10 किलो चरस के साथ गिरफ्तार सरकारी शिक्षक को मिली जमानत, पुलिस के “प्लांटेड चरस” खेल पर भी सवाल 

10 किलो चरस के साथ गिरफ्तार सरकारी शिक्षक को मिली जमानत, पुलिस के “प्लांटेड चरस” खेल पर भी सवाल 

Reported By SAGAR SURAJ
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पूर्व के एक बड़े पुलिस पदाधिकारी के कार्यकाल के दरम्यान हुई गिरफ्तारियों पर अगर नजर डाली जाए तो पता चलेगा उनके समय बड़ी संख्या मे चरस के साथ लोगो को जेल भेजा गया था। कई मामले मे “प्लांटेड चरस” की बात कही गई थी। कुछ जमीन कारोबारियो को पुलिस से उठवा कर चरस के पैकेट दिखा कर पैसे की उगाही के आरोप लगे थे, जेल भेजने के ज्यादातर मामलों में एक किलो चार सौ ग्राम हुआ करते थे। जिसपर कई तरह के सवाल भी उठा करते थे। जिसकी किसी बड़े एजेंसी से जांच कारवाई जाए तो मामला सामने आ सकता है।
 
सागर सूरज
 
मोतिहारी। भले ही हम दावा करे कि वर्तमान मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात के नेतृत्व मे पूर्वी चंपारण जिला एक बेहतर पुलिसींग के दौर से गुजर रहा है, परंतु अब भी चंद भ्रष्ट अधिकारी ऐसे हैं, जिनके कारगुजारियो से पुलिस विभाग को शर्मशार होना पड़ता है।
 
वैसे तो इस जिले मे पूर्व के एक बड़े पुलिस अधिकारी पर दर्जनों की संख्या मे निर्दोष लोगो एवं छोटे- बड़े अपराधियो को “चरस प्लांट” कर जेल भेजने और भया दोहन के आरोप लगते रहे, परंतु महज पाँच माह पूर्व के एक मामले मे उच्च न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत देते हुये पुलिस पर एक बड़ी टिप्पणी कर दी।
ताजा मामला गत सितम्बर महीने मे रक्सौल मे 10 किलो चरस के साथ गिरफ्तार दो लोगों से जुड़ा है, जिसको लेकर पटना हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप कुमार ने पुलिस के कारगुजारियो पर सवाल उठाते हुये एक अभियुक्त शैलेन्द्र ठाकुर पिता अरविन्द ठाकुर, ग्राम हरैया, रक्सौल को जमानत दे दी है।
 
जस्टिस संदीप कुमार ने गत 6 मार्च को जारी अपने आदेश मे कहा कि पुलिस सब इंस्पेक्टर संजीव पासवान ने सरकारी शिक्षक शैलेन्द्र ठाकुर को गलत रूप से फँसाया है। जस्टिस ने अपने आदेश मे स्पष्ट रूप से कहा कि  पीएसआई संजीव पासवान खुद प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर घुस लेने के आरोप मे ‘विजिलेन्स’ के द्वारा ‘रेड हैन्डिड’ गिरफ्तार हुये। वही शिक्षक शैलेन्द्र ठाकुर की कोई आपराधिक रिकार्ड नही है और सरकारी शिक्षक से चरस तस्करी की उम्मीद नही की जा सकती।
 
जस्टिस ने बेल पेटिसन के पारा 12 और 13 को खास कर अपने ऑर्डर मे चर्चा करते हुए बताया कि दावा किया गया कि पुलिस सब इन्स्पेक्टर खुद आरोपित पुलिस अधिकारी है, जो घुस लेते हुये विजिलेन्स के हाथो गिरफ्तार हुये थे और उनके ऊपर विजिलेन्स पुलिस केस नंबर 09/24 दर्ज कर संजीव पासवान को जेल भेजा गया है।
 
 बेल पेटिसन मे पुलिस के उस दावा को भी खारिज कर दिया गया, जिसमे पुलिस ने बताया कि दोनो व्यक्तियो को रक्सौल के लक्ष्मीपूर बायपास से एक थैला मे रखे 20 पैकेट चरस के साथ पकड़ा गया। सच्चाई ये है कि पुलिस ने 14/09/2024 को रक्सौल के कोइरिया स्थित होटल श्याम इंटरनेशनल मे छापेमारी किया, जहां शैलेन्द्र ठाकुर भी उपलब्ध थे और उन्हे एक उजला बोलेरो गाड़ी मे फेंक दिया गया और बाद मे केस मे फंसा दिया गया। जिसकी सीसीटीवी फुटेज भी कोर्ट को उपलब्ध कराई गई।
 
 अभियुक्त शैलेन्द्र ठाकुर के अधिवक्ता विकास कुमार “पंकज” ने कहा कि पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत जप्ती और छापेमारी को लेकर जो निर्देश सेक्शन 8 और 13, 42 और 49 और 52 (2)(c) मे दिए गए थे, उसका उल्लंघन किया गया था, साथ ही छापेमारी के स्थान को बदलते हुये, गलत रूप से अभियुक्त शैलेन्द्र ठाकुर को फंसाया गया। पुलिस सब इंस्पेक्टर संजीव पासवान खुद भ्रष्टाचार मे लिप्त रहने के आरोप मे जेल मे है, साथ ही अपने पद का गलत फायदा उठाने को लेकर आरोपी रहे है। इस मामले मे भी जप्ती के वक्त गवाहों से सादे कागज पर हस्ताक्षर ले लेने के आरोप लगे है। नियमानुसार एनडीपीएस मामले मे छापेमारी से पूर्व वरीय अधिकारियों को लिखित सूचना देनी है और मजिस्ट्रेट के साथ कार्रवाई करनी है, लेकिन इन निर्देशो का भी पालन नहीं किया गया।
 
उल्लेखनीय है कि पूर्व के एक बड़े पुलिस पदाधिकारी के कार्यकाल के दरम्यान हुई गिरफ्तारियों पर अगर नजर डाली जाए तो पता चलेगा उनके समय बड़ी संख्या मे चरस के साथ लोगो को जेल भेजा गया था। कई मामले मे “प्लांटेड चरस” की बात कही गई थी। कुछ जमीन कारोबारियो को पुलिस से उठवा कर चरस के पैकेट दिखा कर पैसे की उगाही के आरोप लगे थे, जेल भेजने के ज्यादातर मामलों में एक किलो चार सौ ग्राम हुआ करते थे। जिसपर कई तरह के सवाल भी उठा करते थे। जिसकी किसी बड़े एजेंसी से जांच कारवाई जाए तो मामला सामने आ सकता है।
 
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